Book Title: Nyayamanjari Part 01
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
________________
न्यायमञ्जरी
प्रमाणानुक्रमणिका
65 77
598
भक्ताः शकरा उपदधाति 678 | अथातस्तत्त्वं व्याख्या 163 मक्षधीयद्यपेक्षेत 237 | अथापि रूढिरूपेण
265 भक्षस्याक्षस्य प्रति 234 अथोभावपि सर्वज्ञौ 641 अग्निराप्तोपदेशात् .93 अदितिौरदिति 680, 6S ! अग्निवत्राणि जङ्घनत् 685| अद्वैतवादिनस्तु
251 अग्निहोत्रं जुहुयात् 5, 93,686 अधर्मे धर्मरूपे वा 611 अग्निहोत्रं जुहोति 670, 687, 689 अधिकारोऽनुपायत्वात् भग्नीदग्नीन् बिहर 679, 683 | अनलार्थनलं पश्यन् अग्नौ चेः
. 126 | अनादिनिधनं ब्रह्म . 251 अङ्कशोऽस्त्री सृणि
| अनित्यःशब्दो जाति 570 अङ्गानि वेदाश्चत्वारः . 8, 619 | अनुदिते जुहोति । 6, 414 अचतुरविचतुर ___653 | अनुदिते होतव्यं
651 अजात शृङ्गो गौः 667 अनुमानं ज्ञातसम्ब
858 भजामेकां लोहित 646 | अनुमितासूर्ये अज्ञो जन्तुरनीशोऽयं 511 | अनुविद्वमिव ज्ञान
209 अणोरप्यस्य विज्ञानात् 619 अन्तरिक्षमसु
560 अतिमुक्तः पुण्डकः 568 अन्युको निगडो
509 अतीतेऽनागतेऽप्यर्थे 265, 359 अन्यत्संवतिसत् प्रोक्तं 16 अत्र भर्तृमित्र: 531 अन्यथाऽनुपपत्ती तु
98 अथ चेन्नैवविध 620 अयथाऽनुपपत्त्या तु
601 अथ तृतीयेऽहन् 616 अन्यदेव हि सत्यत्वं
411 अथ त्वधिकता काचित् 389 अपरीक्षामिषेणापि
391 अथ येऽस्योदञ्चो
617 | अपि चेत्सुदुराचारः 644 अथर्वाङ्गिरसोऽध्येता 619 | अपि वा कर्तृसामान्यात 632, 644 अथ शब्दानुशासनं
21 अप्रत्यक्षोपलंभस्य
95
81
(5)
Page Navigation
1 ... 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810