Book Title: Nyayamanjari Part 01
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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यस्य वस्त्वन्तराभाव: 121 | वर्णाश्चाश्रमाश्च.
658 यस्यार्थस्य सन्निधानात् 236 | वर्ण्यते सूत्रभेदेन
260 यस्योभयं हवि
125 वर्तमानाभावः पतत: 370 यावजीवं सुखं जीवेत् 647 | वस्तुभेदे प्रसिद्धस्य 493 यावत्प्रयोजनं नोक्तं . 13 | वस्तुस्वरूपसंस्पर्शि 251 या सोपमान केषांचित् 375 | वाक्यार्थप्रत्ययस्यात्र
411 युगपज्ज्ञानानुत्पत्तिः 207, 278 वाश्यार्थश्चान्य एवेह 411 येऽपि चातिशया दृष्टा. 269 वाचालो बहुगर्हवाक् येऽस्य प्राञ्चो रश्मयः 617 वाचा विरूपनित्यया 540 योग्यतालक्षण एव . 141 | वाजपेयन स्वाराज्य 686, 687 यो वृष्टिकाम: स सौभ
वायवीया हि ध्वनयः यो हि वैशेषिक: - 533 वायव्यं श्वेतमालभेत 670, 671
वायुवै क्षेपिष्ठा 671, 673 वाराही उपानही
685 रजतं गृह्यमाणं हि 277 वारिदस्तृप्तिमाप्नोति 662 राजा स्वाराज्यकामः 74 | वार्ता तु जीवन राज्ञो बलार्थिनः षष्ठे . 656 | विकल्पयोनयः शब्दाः 416 रात्रिं युगसहस्रान्तां
490 विक्रिया ज्ञानरूपाऽस्य 131 . रामसुग्रीवयोरेन्य 551 विक्रियामात्रवाचित्वे
131 रामो विग्रहवान् धर्मः 644 | विज्ञानधन एव
647 ..रोधोपघातसादृश्य 342 विज्ञानमानन्दं ब्रह्म
506 विधिस्तुत्योः सदा वृत्तिः 673 विध्यन्तो वा प्रकृति
392 - लटः शतृशानचौ
576 | विनियोक्त्री श्रुतिस्तावत् 102, 105 लिङ्गदर्शनाच्च 540 | विवर्ततेऽर्थ भावेन
251 लौकिकमभिधाना 124 | विशिष्टस्यान्यतोऽसिद्धः 385
विशेषणं विशेष्यं च
238
विशेषानपि सामान्यात् 255 वचनविघात अर्थ 335 | विशेषास्तु प्रतीयन्ते
251 वर्णवत् सर्वभावेषु 361 | विशेषेऽनुगमाभावात् 313 वन्दा वृक्षादिनी 638 / विश्वजिता यजेत
123 NYAYAMANJARI
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