Book Title: Nyayamanjari Part 01
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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सोऽयमाभाणको लोके 631। स्वतन्त्रः कर्ता सोऽरोदीद्यदरोदीत् 667,669 | स्वभावविलक्षणेषु सोऽवैदिकः प्रसज्येत 105 स्वरूपमात्रं दृष्ट्वाऽपि सौर्य चळं निर्वपेत् 105, 3.2 स्वरूपेणैव स्वय स्तुतिर्निन्दा परकृतिः 677 | स्वर्गकामो यजेत स्तेन मनोऽनृतवादिनी 668,675
स्वलक्षणमेव परमार्थ स्तोकस्तोकान्तरत्वेन
स्वाध्यायेन व्रतैहोमैः
| स्वारस्यमन्यथाख्याती
185 स्त्रियां तिन् स्मरणादिविशिष्टत्वात् 269 स्मृत्यनुमानागम
230 | हेतुना य: समग्रेण स्वत: सर्वप्रमाणानां 430 | हुत्वा वपामेवाग्रे -
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