Book Title: Nyayamanjari Part 01
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute

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Page 759
________________ 18 51 519 141 285 सोऽयमाभाणको लोके 631। स्वतन्त्रः कर्ता सोऽरोदीद्यदरोदीत् 667,669 | स्वभावविलक्षणेषु सोऽवैदिकः प्रसज्येत 105 स्वरूपमात्रं दृष्ट्वाऽपि सौर्य चळं निर्वपेत् 105, 3.2 स्वरूपेणैव स्वय स्तुतिर्निन्दा परकृतिः 677 | स्वर्गकामो यजेत स्तेन मनोऽनृतवादिनी 668,675 स्वलक्षणमेव परमार्थ स्तोकस्तोकान्तरत्वेन स्वाध्यायेन व्रतैहोमैः | स्वारस्यमन्यथाख्याती 185 स्त्रियां तिन् स्मरणादिविशिष्टत्वात् 269 स्मृत्यनुमानागम 230 | हेतुना य: समग्रेण स्वत: सर्वप्रमाणानां 430 | हुत्वा वपामेवाग्रे - 126 235 702 475 269 36, 341 677

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