Book Title: Nyayamanjari Part 01
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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आरंभप्रतिबन्धोऽस्य 664 | उदिते जुहोति
6, 114 आई धर्मोपदेश च 5 , 29 | उदिते होतव्यं
651 अर्घ सिद्ध दर्शन च 60, 276 | उभिदा यजेत
686 आश्रयः सर्वधर्माणां
23 उपद्रष्टाऽनुमन्ता च 504 आहोपुरुषिका तावत् 560 उपमानमपि सादृश्य 384
उभयपक्षसाम्यात्
294
उभयमिह चोदनया 643 इको यणचि
515 उरु प्रथा उरु 679, 682 इच्छाद्वेषप्रयत्न
503 इतिहांसपुराणः
616 इतिहासपुराणाभ्यां 6, 504, 6:34 | ऋक्यामयजुरङ्गानां
619 इदं पुण्यमिदं पापं 612 ऋग्भिः प्रातर्दिवि
614 इदं विष्णुर्विचक्रमे .
636 ऋग्यजुस्सामाथर्व
619 इन्द्रः रोगस्य काणुका 680 ऋग्वेदो यजुर्वेदः _613, 623 इन्द्रशत्रु: -
549 ऋचां प्राची महती 618 इन्द्रियार्थ पन्जिकर्ष
ऋचो थै ब्रह्मणः
617 इममहं पञ्चदशारेण . .666 ऋदस्य राजमातङ्गा
21 इटिषु दर्शपूर्ण
106 | ऋषीणामपि यत् ज्ञानं 276 इह न भवत्यनाभि
607
71
ई धरप्रेरितो गच्छेत्
581, 588
661 636 312 239
एकं वा रूपसंयोग 511 एक: स्वादु न भुञ्जीत
एक एव रुद्रः
एकदेशविशिष्टश्च 624
एकस्यार्थस्वभावस्य 504 एकार्थसमवायेन
21 | एके तावद्वर्णयन्ति 685 | एवेन तु प्रमाणेन
424 | एतत् ज्ञानमिति 305, 328 | एतन्न विद्मो यदि
120/ एतस्मिन्नुपमानत्वं
उच्चेचा क्रियते उत्तमः पुरुषत्वन्यः उत्तरपदार्थान्तर्गत उत्ताना वै देवगवाः उदकाहरगे त्वस्य उदाहरणसाधात् उदाहरणान्तरपरि
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303 269
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