Book Title: Nyayamanjari Part 01
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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नायं समासः किन्तु नावश्यं श्रोत्रमाकाशं नासिद्ध भावधर्मोऽस्ति नित्यत्वं तु स्याद्दर्शन निरस्तश्चायं शब्द निर्विकल्पकबोधेऽपि निर्विशेषं न सामान्य नूनं तत्रापि पूर्वेण नूनं स चक्षुषा सर्वान् नैकदेशत्रास नैयायिकास्तु धूम नैष वस्त्वन्तराभाव नैषा तर्केण मतिः न्यायोद्गारगभीर
24
342
405
प
234 | पुरूपयो मा प्रपत: 582 531 पुत्रकामः पुष्टया 60,651 336 पुत्रैर्दारैश्च भृत्यैश्च 661 524 पूर्ववाक्यार्थविज्ञानात् 531 | पूर्णाहुया सर्वान् 663, 676 252 पूर्वापरपरामर्श ... 250 165 पार्णमास्यां बजेत
371 प्रख्याभावाच योगस्य
540 269 प्रजापतिः प्रजाः
प्रमापतिना चत्वारः 575 प्रजापतिर कामयत
614 143
| प्रजापतिरात्मनो ६07,671,675 316 प्रजापति: सोमेन
021 प्रणिधानंलिङ्गादि
60 प्रतिनिधिरपि चैवं
303 प्रत्यक्ष योगिनामिष्टं 265 483 | प्रदीपः सर्वविद्यानां
28 326 | प्रधानविधिवर्जितं
106 618 प्रपातस्तु तटो भृगुः । 215 670 प्रमाणतैव न ह्यस्य
122 22 प्रमाणतोऽर्थप्रतिपत्ती
150 236प्रमाणत्वोपचारस्तु
184 प्रमाणमविसंवादि 61,403 662 प्रमाणषटकविज्ञात:
94. 600
प्रमाणादीनां तत्त्वस्य 548 | प्रमाता प्रमाण 626 | प्रयत्नेनान्विच्छन्त:
418 101 | प्रयाजशेषेण
- 125 6,619 | प्रवृत्तर्वा निवृत्तिर्वा
691 6, 615/ प्रवृत्तिसामर्थ्यादर्थ 446
12 | प्रसिद्धसाधात् साध्य 873, 381
668
पक्ष्मलाक्षीमभिरमयेत् पतिं विश्वस्थ पय आहुतयो ह पयसा जुहोति परश्शतपरिक्षोदात् परिव्राटकामुकशुनां पशुबन्धयाजी सर्वान् पावमानी जपेत् पिक इति कोकिल: पिण्डव्यङ्गयैव गोत्यादि पितश्च मधुसर्पिभ्यां पीनो दिवा न भुते च पुराणं धर्मशास्त्रं च पुराणतर्कमीमांसा पुरुष: पुनश्चतुर्धा
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