Book Title: Nandi Aadi Sootra Gaathaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम संबंधी साहित्य
नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि
[ज-कार] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्राक यहां देखीए
५०८
दीप क्रमांक के लिए देखीए
555ॐॐॐॐ545453
जा जेण होइ वशेण ६ जाण अझप्पस्साणवणं . ५ जाण. जाण० अट्ठविहकम्ममुको जाण अंडयबोंडयवालय जाण आचरणे आचरणं जाण. कम्मे नोकम्मे या ५ जाणग० जाणग० गणिपिडर्ग होइ जाणग० जीवाणमजीवाण. जाणग० निहाविकहकसाया . जाणग० परिणामो अ (अ) जीव७ जाणग०परिणामो जीववस्स५ |जाणगपुच्छ पुच्छइ
४१९ जाणगभवियसरीरा . ५४७ जाणग० भावे सम्मट्ठिी
जाणग० सन्ना कडकरणाई ३ .५०० जाणगसरीर० ५
जाणगसरीर० ५
जाणगसरीरभविए. ५३१ जाणगसरीरभविए तव्व० .
जाणगसरीरभविए ४५९ जाणगसरीरभविए ५५७ जाणगसरीरभविए ५२३ जाणगसरीरभविए . ५५५ जाणग० हुति दुविहा उ ७ ५५३ जाण० तवसंजमेसु . ३०५ जाण० भावविही पुण दुविहा.
66.66666
२८१ जाण० भावंमि असमिइओ. ४६१ ५५० जाण० भावंमि दसविहं . ४८४ १५३+ जाण भावमि दसविहाए १ ४८८ ३९२ जाण० भावंमि नाणदसण ५ ५०२ ४४४ जाण० भावमि होइ दुविहो . ५१४ २५१ जाण. भावे अन्नाणअसंव.. २३८ जाण. भावे पंचविहा खलु.
जाणभावे पंचविहा खलु । ४२४ जाणयमविय०
४ ०६ २४५ जाणय भवे य भावे य ७ ४५२ ४९१ जाणयसरीरभविए ५३८ जाणयसरीरभविए०जो भिंदेह ३७४ ४६४ जाण०सा पुणो दुविहान ५३४ ५२० जाणं आहम्मिए जोए + ५७
३१९
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
~85

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