Book Title: Nandi Aadi Sootra Gaathaadi Akaaraadi Kram
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 179
________________ आगम संबंधी साहित्य नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि [स-कार ] मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलिता नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्राक यहां . ५ ४ ६ देखीए १२८ ५८७* * ६ ५ ५३८ संसारपडिकमर्ण ९५ संसारपारगमणे * OCOCOCCCCCC E दीप क्रमांक के लिए देखीए -56452%92% १६११ ** संवेगेणं भंते ! जीवे किं ४ संवेगो निब्वेओ संसज्जड धुवमेअं संसज्जिमम्मि देसे ६ संसजिमेहिं वजं संसट्टेण य हत्येण संसट्टेयरहत्यो संसत्तग्गणी पुण संसत्तभचपाणे मचग संसत्तभत्तपाणेसु संसत्तमसंसत्ता संसत्तं तत्तो चित्र संसत्तेण य व्वेण संसयं खलु सो कुणइ १५ संसरिअ थावरो ३ ४४३ सा उ अविसेसियं ३५० संसारस्था०वसा यथावरा ७१४४१ सार्ड पजतं आवरेण २५९+ संसारत्था य सिद्धाय १४२१७ साएए पुंडरीए ५९३ संसारत्था य सिद्धाय १६२० सागरतं जहित्वा गं सागरा अउणतीसं तु सागरा अडवीसंतु BRससारपारगमणे सागरा अहवीस तु संसारमावन्न परस्स अट्ठा ७ ११८७ सागरा इकतीसंतु संसारसागराओ३ २३१+ सागरा इकवीस तु संसाराअडवीए मिच्छत्त ३ ९०९ सागराणि य सत्तेव संसाराभो आलोयणा उ ५ ४३+ सागरा सत्तवीस तु ५०५ संसोधण संसमणं ६ ४५९ सागय साहिया दुन्नि ५७६ संहिया य पदं चेवर १३५७ सागरा साहिया सत्त २५३४ सा इह पुब्वाणुपुव्वी . ३५+ सागरोवममेगं तु १६१४ * tee 66 * १५९६* * 'सवृत्तिक आगम 9.99 ७ १५९५* ७ १५९७* ७ १५३३* 4515645 सुत्ताणि ~179~

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