Book Title: Muni Ki Raksha Author(s): Moolchand Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 2
________________ सम्पादकीय महापुरुष संसार की अनमोल निधि होते हैं। वे अपने ज्ञान, आचरण एवं कार्यों द्वारा संसार को अमूल्य देन देकर जाते हैं। उनका जीवन मानव के लिए दीपस्तम्भ के समान होता है। एक प्रकाश-पुञ्ज घनघोर अन्धकार को नष्ट कर देता है। उसी प्रकार महापुरुषों का जीवन व उपदेश अंधकाराच्छन्न मानव जीवन को प्रकाश से आलोकित कर देता है। वह अज्ञान रूपी अन्धकार में भटकने वाले मानव को दिव्य प्रकाश देता है। मानव का क्या कर्त्तव्य है ? मानव-जीवन की सार्थकता किसमें है ? यह सब उस प्रकाश में हमें स्पष्ट दिखाई देता है। यह सब जैन चित्र कथा के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। ब. धर्मचंद शास्त्री प्रकाशक : आचार्य धर्मश्रुत ग्रन्थ माला गोधा सदन, अलसीसर हाउस, संसारचंद रोड, जयपुर सम्पादक : धर्मचंद शास्त्री लेखक : डॉ. मूलचंद जी जैन, मुजफ्फरनगर चित्रकार : बने सिंह प्रकाशन वर्ष ३ १९९० अंक २० मूल्य ६/ जैन चित्र कथाओं के प्रकाशन के इस पावन पुनीत महायज्ञ में संस्था को सहयोग प्रदान करें। परम संरक्षक संरक्षक आजीवन १११११ ५००१ १५०१ प्राप्ति स्थान : श्री दि. जैन मन्दिर गुलाब बाटिका दिल्लीPage Navigation
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