Book Title: Muni Ki Raksha
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 20
________________ विदेश पहुंचकर भैया। हमने सूब नौकरी से जो | धन कमा लिया है। घनमिला उससे| अब हमें अपने देश अपनाव्यापार लौट चलनाचाहिए। किया खूनधन बहुत याद आती कमाया माला है मां की। माल होगये वे एक दिन... भाई साहब मैं तो आपसे स्वयं ही कहने वाला था स्वप्न में रोज मां दिखती है। wweiwww LOOTION MILAMVIDIO HTTPL तो बस अन हम्मीघ्र ही अपने देश को लौट चलेंगे। हां मैने सोचा है कि जो धन हमारे पास है उसका एक रत्न खरीद लें। लेजाने में बड़ी सहलियत रहेगी। ठीक विचारा आपने भाईसाहब HTraptoladan Nagamay TA Anil ALIGUPTAmitute HIMALAYAhmalmalayati Ghisimmitisummmunother POHTAMINISTRanbar

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