Book Title: Muni Ki Raksha
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ माता जी। इस तरह कैसे कामचलेगा | अब बेटा,तुमबाहर जा रहे हो। दुख तो मुझे बहुत है हम बड़े होगये हैं। हम चाहते हैं कि कुछ धन परन्तु यह गरीबीका जीवन भी तो अब जिया पैदा करें। यहां से एक सेठ जी व्यापार के । नहीं जाता। जाओ मेरे प्यारे बच्चों, मेरा आशीर्वाद लिए विदेश जा रहे हैं। वह हमें... हमेशा तुम्हारे साथ है। ALLA ..वह हमें साथलेजाने के लिए तैयार है। आपकी आज्ञा हो तो हम भी उनके साथ... जहाज में दोनों बैठ गये सेठ जी भी है और पूरा साजसमान दोनों दूर से अपनी माको देख रहे है और देख रहे है जन्मभूमिको छोड़ते हुए बहुत दुत्व हो रहा है। आंसू निकल पड़ते हैं अखिों से.. KACSCG HE

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28