Book Title: Muni Ki Raksha
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 21
________________ रत्न खरीद लिया गया। रत्न लेकर चल दिये अपने देशको। रत्न था अहिदेव के पास । रात्रि हुई और ... ... रत्न बड़ा सुन्दर है और कीमती भी। परन्तु दुख की बात यह है कि यह साझे की चीज है। छोटे भाई का भी हिस्सा इसमें है। परन्तु यह ऐसी चीज नहीं कि उसे भीदीजाये। फिर...... फिर क्या उसको धक्का समुद्र में और बस रत्न मेरा और मेरा...

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