Book Title: Muni Ki Raksha
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 12
________________ और विचार कर हस्तिनापुर जा पहुंचे। महामुनि को मंत्रीबलिचंद्र की योजनासमझते देर नहीं लगी। उन्होंने एक ठिगने (बौने) मिक्षक का रुपधारण किया और श्लोकों चाओं का उच्चारण करते हुये ब्रह्ममुहूर्त में बलि के समक्ष जा पहुँचे। बलिचंद्र भिक्षक से बोले... बस-बस,श्लोक-फिश्लोक रहने दो, तुम्हें जो चाहिये हो सो मांगों, मैं-पृथ्वीनरेश बलि-तुम्हारे भाग्य को चमका दूँगा। मागों। शाासागर बलि की दम्भोक्ति पर भिक्षुक मुस्काने लगा, फिर संयत स्वर में बोला. महाराज मुझे मात्र तीन पग भूदान देने की कृपा करें। भिक्षककी मांग पर नलि ठिलाठिलाकर हंस पड़ा, कहने लगा... भिक्षक तुम मांगने में भी अपने स्वरूप की तरह छोटे निकले, जाओ नापलो,दीतुम्हें तीन पग धरती।

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