Book Title: Muni Ki Raksha
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ क्षुल्लक माजिष्णु ने विद्याधर पुष्पदन्त को सूचना दी। पुष्पदन्त विद्याबल से अल्पसमय में महामुनि विष्णुकुमार की शरण में उपस्थित हो गये और पूरी वार्ता कह सुनाई। तब महामुनि बोले... लेकिन मुझे तो ज्ञात नहीं। महामुने? अवलोकन कर देरव लें। विद्याधर, इस हेतु मैं क्या कर सकता हूँ नाथ आप तो विक्रियाऋद्धि के धारक विद्याधर के कहने से महामुनि ने अपना एक हाथ फैलाया तो वह सहस्त्रों योजन बढ़ कर मानुषोत्तर पर्वत तक जा पहुँचा। महामुनि को अपनी मृद्धि पर विश्वास हुआ, हाथ समेटा.. 214 LABE

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