Book Title: Mokshmarg Ek Adhyayan Author(s): Rajesh Jain Publisher: Rajesh Jain View full book textPage 9
________________ “मंगलाचरण” सर्वे, श्रोतारः सावधानतया श्रृण्वन्तु! योग Nauset wat oueret मोखामो नमो ॐ नमः सिद्देभ्यः ॐ नमः सिद्देभ्यः ऊँ नमः सिद्देभ्यः, ऊँ जय जय जय नमोस्तु! नमोस्तु!! नमोस्तु!!! णमो अरिहंताणं, णमो सिद्राणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं! ओंकार बिन्दु संयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः। कामदं मोक्षदं चैव ओंकारय नमो नमः।।1।। | अज्ञान- तिमिरांधानां ज्ञानान्जन-शलाकया। अविरल-शब्द-धनौध-प्रक्षालित-सकल-भूतल-मलकलङ्का। मुनिभिरूपासित तीर्था सरस्वती हरतु ना दुरितान् चक्षुरून्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ।। 2।।, ।। श्री परमगुरवे नमः परम्पराचार्यगुरवे नमः।। सकल-कलुष-विध्वंसकं श्रेयसां परिवर्धकं, धर्म-सम्बन्धकं, भव्य-जीव-मनः प्रतिबोधकारकमिंद शास्त्र श्री “मोक्ष मार्ग का अध्ययन” नामधेयं रचियता, संग्रह कर्ता एंव शोध कर्ता, श्री राजेश कुमार जैन, मुरादाबाद है। मंगलं भगवान वीरो, मंगलं गौतमो गणी । मंगलं कुन्दकुन्दाधो, जैन धर्मोङस्तु मंगलं ।। सर्व मंगल्य मांगल्य सर्व कल्याण कारकं । प्रधानं सर्व धर्माणां जैनं जयतु शासनम् ।।Page Navigation
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