Book Title: Mokshmarg Ek Adhyayan
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Rajesh Jain

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Page 32
________________ वन्दनाः- अष्टांग नमस्कार करना तथा एक तीर्थंकर की स्तुति करना वन्दना हैं। कार्योत्सर्गः- समय विशेष का प्रमाण करके शरीर से मोह छोड देना, उस पर आये हुए समस्त उपसर्ग व परीषहों को समभावों से सहन करना कार्योत्सर्ग हैं। मार्ग प्रभावना: - समस्त जीवों पर सत्य (जिन घर्म) का प्रभाव प्रगट कर देना मार्ग प्रभावना हैं। प्रवचन वात्सल्य: - साधर्मियों तथा प्राणी मात्र से सहायता व उपकार का व्यवहार रखना प्रवचन वात्सल्य नाम की भावना हैं। "जाप" ॥ॐ हीं दर्शन विशुद्धि, विनय सम्पन्नता, शीलव्रतोंप्वनतिचार, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग, संवेग, शक्ति तस्त्याग, शक्तितस्तप, साधु समाधि, वैयावृत्यकरण, अर्हद भक्ति, आचार्य भक्ति, बहुश्रुत भक्ति, प्रवचन ||भक्ति,आवश्यकापरिहाणि, मार्ग प्रभावना और प्रवचन वात्सल्यादि षोडशकारणेभ्यो नमः

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