Book Title: Mokshmarg Ek Adhyayan
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Rajesh Jain

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Page 23
________________ बांह्य तप: बाह्य तप 1.अनशन ( संयम वृद्धि के लिए किया गया उपवास ) 2.अवमौदर्य ( कम भोजन करना ) 3. वृति परिसंख्यान ( भोजन मे मर्यादा रखना ) 4. रस परित्याग (रसों का त्याग करना) 5. काम – कलेश (घ्यान के द्वारा शरीर को कष्ट देना ) 6. विवित्र शय्यासन अन्तरंग तपः 1. प्रायश्चित 2. विनय 3. वैयावृत्य 4. स्वाध्याय 5. ध्यान 6. व्युत्सर्ग 7. मोनव्रत “दिन दस के मिहमान जगत जन, बोलि बिगारै कौन सौं। हम बैठे अपनी मौन सौं"।। ती। हम बैठे बानी अणुव्रतः ध्यान:- आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान, शुक्लध्यान ध्यान उपरोक्त चार प्रकार का होता हैं। धर्मध्यान और शुक्लध्यान से मोक्ष प्राप्त होता हैं। पंचम काल मे शुक्लध्यान संभव नही हैं। विकल चारित्र:- विकल चारित्र के अणुव्रत पाँच, गुणव्रत तीन, शिक्षाव्रत चार ऐसे बारह भेद कहे गयेहैं। अणुव्रत पाँच गुणव्रत तीन शिक्षाव्रत चार अन्तरंग तप सत्य अपरिग्रह अहिंसा अर्चीय ब्रह्मर्चय

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