Book Title: Moksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Author(s): Ram Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 880
________________ .' 9 १. * * * ๘ अध्याय अनुभव बन्ध अनुप्रेक्षा अनित्यानुप्रेक्षा अन्यत्वानुप्रेक्षा अनशन अनुप्रेक्षा अनिष्ट संयोगज आर्तध्यान,, अनन्त वियोजक अन्तर अप्रत्याख्यान अप्रत्यवेक्षितनिक्षेपाधिकरण, अपध्यान ७ अपरिगृहीतत्वरिकागमन अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितादान,, अप्रत्याख्यानावरण क्रोधादि अपर्याप्त नामकर्म ८ अपर्याप्तक अपायविचय अब्रह्म-कुशील अभिनिबोध अभिक्ष्णज्ञानोपयोग अभिषवाहार अमनस्क अयशःकीर्ति अरति अरति परिषह जय अर्थ विग्रह अर्थ संक्रांति अर्पित अर्हद्भक्ति अल्पबहुत्व ८०० सूत्र । शब्द अध्याय अलाभपरीषहजय | अल्पबहुत्व अवधिज्ञान अवग्रह अवाय अवस्थित अविग्रहगति अवर्णवाद अविरति अवधिज्ञानावरण अवधिदर्शनावरण २१ | अविपाक निर्जरा अवमौदर्य अवगाहन अशुभयोग अशरणानुप्रेक्षा अशुचित्वानुप्रेक्षा अशुभ | अस्तिकाय १३ असमीक्ष्याधिकरण ७ असद्वेद्य ३५ असंप्राप्तमृपाटिका सं०, अस्थिर अहिसाणुव्रत [ आ आक्रन्दन १८ आक्रोश ४४ आचार्य भक्ति ३२ श्राचार्य धाज्ञा विचय आत्मरक्ष ११ २४ ११ a w 9 or w gs is uw or w x war

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