Book Title: Moksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Author(s): Ram Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 888
________________ ८०८ अध्याय शब्द वध वध v१ १॥ x • Mur. mmo 20 20 w w is P on or 2 mYAN w cWW०० WM w w w व्रत वणे वाङ निसर्ग वाग्गुप्ति वामनसंस्थान वाग्योगदुष्प्रणिधान वाचना विधान विपुलमति विग्रहगति विग्रहवती विवृत्तयोनि विमान विदारणक्रिया विसंवादन विनयसंपन्नता विमोचितावास विचिकित्सा विनय विवेक विपाकविषय विरुद्धराज्यातिक्रम विधिविशेष विपरीत मिथ्यात्व विहायोगति विविक्तशय्यासन वीर्यभाव वीचार त्तिपरिसख्यान वृष्येष्टरसस्याग vyu or orno.30ur ur ur १ .udd99saw b:9 सूत्र | शब्द अध्याय ११ वेदनीय कर्म वेदनाजन्य आर्तध्यान । | वैक्रियिक शरीर वैमानिक वैयावृत्यकरण वैयावृत्य वैनयिक मिथ्यात्व व्यंजनावग्रह व्यवहारनय व्यय व्युत्सर्ग व्युत्सर्ग | व्युपरतक्रियानिति व्यंजनसंकान्ति (श) शब्दनय शक्तितः त्याग २३ शक्तितस्तप शल्य शब्दानुपात शरीरनामकर्म . |शय्या परिषह जय शंका शिक्षात्रत | शीलव्रतेष्वनतिचार शीतपरिषह जय शुभोपयोग शून्यागारवास शैक्ष्य | शोक Cw ५० ३६ ३६ moon mm 66166monam ३ MCMWmco

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