Book Title: Moksha Shastra arthat Tattvartha Sutra
Author(s): Ram Manekchand Doshi, Parmeshthidas Jain
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 885
________________ ८०५ सूत्र | शब्द अध्याय सूत्र २२ १८ ३७ ११ टि० शब्द अध्याय निहव निदान शल्य निदान निद्रा निद्रानिद्रा निर्माण निवृत्यिपर्याप्तिक निर्जरानुप्रेक्षा निषद्या परिषह जय निदान आर्तध्यान निर्ग्रन्थ नीच गोत्र नैगम नय न्यासापहार न्यग्रोधपरिमंडल संस्थान ८ परोक्ष प्रमाण परिणाम xvExorora wr 9 9. Frau. परत्वापरत्व पर्याप्तक ____८ पर्याप्तिनामकर्म पर्याय पर्यायार्थिक नय प्रमाण टि० प्रत्यक्ष प्रमाण प्रकीर्णक प्रवीचार प्रदेश प्रदोष प्रवचन भक्ति प्रवचन वत्सलत्व प्रमोद प्रमाद चर्या प्रतिरूपक व्यवहार प्रमाद प्रकृति बन्ध प्रदेश बन्ध प्रतिजीविगुण प्रचला प्रचलाप्रचला प्रत्याख्यानावरण क्रोध मान माया लोभ ३६ | प्रत्येक शरीर ११ । प्रदेश बन्ध प्रज्ञा परीषह जय प्रतिक्रमण पृच्छना ३५ | प्रतिसेवना कुशील पर्याय परिवेदन परोपरोधाकरण परिग्रह परिग्रह परिमाण व्रत परविवाहकरण परिग्रहीतेत्वरिकागमन परव्यपदेश परघात परिषह जय परिहार विशुद्धि परिहार परिग्रहानन्दी रौद्रध्यान orxu 99:::१Unadu - x urur:999uuuuuuuuuN २८ २२

Loading...

Page Navigation
1 ... 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893