Book Title: Mata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 25
________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार तिरस्कार नहीं है, कुछ भी नहीं है। केवल मोही हैं। उसी कारण सिनेमा में और दूसरी जगह भटका करते हैं। पहले तो इतना तिरस्कार कि ब्राह्मण का लडका दूसरों को छुए तक नहीं। क्या अब है ऐसी माथापच्ची? प्रश्नकर्ता : ऐसा कुछ नहीं। जरा-सा भी नहीं। दादाश्री: सब माल शुद्ध हो गया और लोभ भी नहीं है. मान की भी परवाह नहीं। अब तक तो सब अशुद्ध माल था, मानी-क्रोधी-लोभी! और ये तो मोही बेचारे हैं! प्रश्नकर्ता : आप कहते हैं कि वर्तमान जनरेशन 'हैल्दी माइन्डवाली' है और दूसरी ओर देखें तो सब व्यसनी हो गये हैं, और न जाने क्या क्या हैं? दादाश्री : भले वे व्यसनी दिखते हों पर उन बेचारों को रास्ता ना मिले तो क्या करें? उनके माईन्ड हैल्दी हैं। प्रश्नकर्ता : हैल्दी माईन्ड यानी क्या? दादाश्री : हैल्दी माईन्ड यानी मेरी-तेरी की बहुत परवाह नहीं करते और हम तो छोटे थे तब, बाहर किसी का कुछ पड़ा हो, कुछ देखें तो ले लेने की इच्छा होती थी। किसी के वहाँ भोजन करने गए हों तो घर में खाते हों उससे थोड़ा ज्यादा खा लेते थे। छोटे बच्चों से लेकर बुड्ढों तक सब ममतावाले होते थे। अरे! ये 'डबल बेड' का सिस्टम हिन्दुस्तान में होता होगा? किस प्रकार के जानवर जैसे लोग हैं? हिन्दुस्तान के स्त्री-पुरुष कभी साथ में एक रूम (कमरे) में नहीं होते! हमेशा अलग रूम में रहते थे! इसके बदले आज यह देखो तो सही! वर्तमान में तो बाप ही बेडरूम बना देता है, 'डबल बेड' खरीदकर! इससे बच्चे समझ गए कि यह दुनिया इसी प्रकार चलती है शायद। तुम्हें मालूम है कि पहले स्त्री-पुरुषों के बिस्तर अलग रूमों में रहते थे। तुम्हें मालूम नहीं? वह सब मैंने देखा था। आपने अपने ज़माने में डबल बेड देखे थे? माता-पिता और बच्चों का व्यवहार ९. माता-पिता की शिकायतें एक भाई मुझसे कहता है, मेरा भतीजा हर रोज़ नौ बजे उठता है। घर में कोई काम नहीं करता। फिर घर के सभी सदस्यों से पूछा कि यह जल्दी नहीं उठता यह बात आप सबको पसंद नहीं क्या? तब सभी ने कहा, 'हमें पसंद नहीं, फिर भी वह जल्दी उठता ही नहीं।' मैंने पूछा, 'सूर्यनारायण आने के बाद उठता है कि नहीं उठता?' तब कहा, 'उसके बाद भी एक घण्टे के पश्चात् उठता है।' इस पर मैंने कहा कि 'सूर्यनारायण की भी मर्यादा नहीं रखता, तब तो वह बहुत बड़ा आदमी होगा! नहीं तो लोग सूर्यनारायण के आने से पहले खुद जाग जाते हैं, लेकिन यह तो सूर्यनारायण की भी परवाह नहीं करता।' फिर उन लोगों ने कहा, आप उसे थोड़ा डाँटो। मैंने कहा, 'हम डाँट नहीं सकते। हम डाँटने नहीं आये, हम समझाने आये है। हमारा डाँटने का व्यापार ही नहीं हैं, हमारा तो समझाने का व्यापार है।' फिर उस लड़के से कहा, 'दर्शन कर ले और रोज़ बोलना कि दादा मुझे जल्दी उठने की शक्ति दो।' इतना उससे कराने के बाद घर के सभी लोगों से कहा, अब वह चाय के समय पर भी उठे नहीं तो उससे पूछना कि, 'भई, ये ओढ़ा दूँ तुझे? जाड़े की ठंड है, ओढ़ना हो तो ओढ़ा दूं।' इस प्रकार मजाक में नहीं, पर सही में उसे ओढ़ा देना। घर के लोगों ने ऐसा किया। परिणाम स्वरूप केवल छह महिने में वह लड़का इतना जल्दी उठने लगा, कि घर के सभी लोगों की शिकायत चली गई। प्रश्नकर्ता : आज के लड़के पढ़ने के बजाय खेलने में ज्यादा रुचि रखते हैं, उन्हें पढ़ाई की ओर ले जाने के लिए उनसे कैसे काम लिया जाए, जिससे लड़कों के प्रति क्लेश उत्पन्न न हो? दादाश्री : इनामी योजना निकालिए न! लड़कों से कहो कि पहला नंबर आयेगा उसे इतना इनाम दूंगा और छठा नंबर आयेगा, उसे इतना इनाम और उत्तीर्ण होगा उसे इतना इनाम। कुछ उनका उत्साह बढ़े ऐसा करो। उसे तुरन्त फायदा हो ऐसा कुछ दिखाओ, तब वह चुनौती स्वीकारेगा। दूसरा क्या रास्ता करने का? वर्ना उन पर प्रेम रखो। प्रेम हो

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