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फल - १. मन्दाग्नि आदि उदर रोगो का शमन । २ हर्निया की वीमारी में लाभकारी ।
महामुद्रा
विधि-किसी एक पैर की एडी सीवन और गुदा के मध्य भाग मे लगाइए तथा दूसरे पैर को सीधा फैला दीजिए। श्वास बाहर निकालिए । उड्डीयान बन्ध कीजिए। सिर घुटने पर टिकाइए। दूसरे पैर से भी वैसी ही पुनरावृत्ति कीजिए |
समय - एक या दो मिनट ।
फल-वीर्याशय तथा पाचनयत्र की दृढता ।
संप्रसारण भूनमनासन
विधि - सीधे बैठकर पैरो को यथाशक्ति फैलाइए। हाथों से पैरो के अगूठे पकडकर सिर को भूमि पर रखिए ।
समय - एक या दो मिनट ।
फल - वीर्याशय की दृढता ।
कन्दपीड़नासन
विधि - सीधे पैर के पजे को जमीन पर टेक एडी को सीवन तथा गुदा से सटाइए। बाए पैर को दाए घुटनो पर रखिए। दोनो हाथों से दोनो कमर के पार्श्वो को पकडिए ।
समय - एक या दो मिनट ।
फल - वीर्य - वाहिनी नाडियो की शुद्धि |
लेटकर किए जाने वाले आसन
दण्डायतशयन
विधि-दण्ड की तरह सीधे लेट जाइए। दोनो पैरो को परस्पर सटा दीजिए तथा दोनो हाथो को पैरो से सटा दीजिए ।
समय-कम से कम पाच मिनट और सुविधानुसार घटो तक किया जा सकता है ।
६६ / मनोनुशासनम्