Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva Author(s): Kasturchand Kasliwal Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur View full book textPage 4
________________ 1 लेखक की कलम से जैन कवियों द्वारा निवद्ध हिन्दी साहित्य कितना विशाल एवं व्यापक है इसका अनुमान ये ही कर सकते हैं जिन्होंने शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत पाण्डुलिपियों को देखा है तथा उनके अन्दर तक प्रवेश किया है। अब तक जितने भी जैन कवियों से सम्बन्धित ग्रन्थ प्रकाशित हुये हैं उनमें महाकवि बनारसीदास, महाकवि दौलतराम कासलीवाल, एवं महा पंडित टोडरमल के अतिरिक्त शेष सभी ग्रन्थ परिचयात्मक हैं नौर जिनमें लेखक का सामान्य परिचय एवं उसकी रचनाओं के नाम गिना दिये गये है। बड़ी प्रसन्नता की बात है कि श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी की स्थापना पचास से हिन्दी साहित्य के प्रतिनिधियों एवं उनकी रचनाश्रों भी प्रथम पुष्प है जिसमें के प्रस्तुतीकरण के लिये हुई है । प्रस्तुत ग्रन्थ अकादमी का संवत् १६०१ से १६४० तक होने वाले प्रमुख दो कवियों का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है और ये दो कवि हैं ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकीति । ब्रह्म रायमल्ल ढूंढाड प्रदेश के कवि थे जबकि त्रिभुवनकीर्ति वागड़ एवं गुजरात प्रदेश में अधिक रहे थे । — ब्रह्म रायमल्ल एवं त्रिभुवनकी दोनों ही लोक कवि थे। इन कवियों ने अपनी कृतियों की रचना जन सामान्य की रुचि एवं भावना के अनुसार की थी । ब्रह्म रायमल्ल पूर्ण रूप से घुमक्क कवि थे जिन्होंने ढूंडा प्रदेश के प्रमुख नगरों में बिहार किया और अपने बिहार की स्मृति में किसी न किसी काव्य की रचना करने में सफल हुये । कवि ने अपने काव्यों में पौराणिक परम्परा का निर्वाह करते हुये तत्कालीन सामाजिक स्थिति का भी बहुत ही स्पष्ट वर्णन किया हैं। ब्रह्म रायमल्ल के सभी प्रमुख काव्य किसी न किसी नवीनता को लिये हुये हैं । कवि की परमहंस चौप श्राध्यात्मिक कृति होने पर भी सामाजिकता से श्रोत प्रोत है । प्रस्तुत भाग में afa के दो काव्य प्रद्यम्नु रास एवं श्रीपाल रास पूर्ण रूप से तथा परमहंस चौपाई एवं भविष्यदत्त चौपई के एक भाग को ही दिया गया है। शेष रचनाओं के पाठों को पृष्ठ संख्या अधिक हो जाने के भय से नहीं दिया जा सका। इसी तरह भट्टारक त्रिभुवनकीति के दो काव्यों में से एक जम्बूस्वामी रास के पाठ को ही दिया गया है । प्रस्तुत भाग में उक्त दो कवियों का जीवन परिचय के साथ ही उनके काव्यों का प्रध्ययन भी प्रस्तुत किया है जिसके आधार पर काव्यों की विशेषताओं के साथ साथ कवि की काव्य शक्ति का भी परिचय प्राप्त हो सकेगा । दोनों ही कवि संगीतज्ञPage Navigation
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