Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 3
________________ ( iv ) मुल्यांकन रहेगा। इन पुस्तकों से विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले विद्वानों एवं विद्यार्थियों को इस दिशा में सामग्री भी उपलब्ध हो सकेगी धोर उन्हें जैन ग्रंथ भण्डारों में कम भागना पडेगा। श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी की योजना को सफल बनाने के लिये यह प्रावश्यक है कि उसकी अधिक से अधिक संख्या में संचालन ममिति के सदस्य एवं विशिष्ट सदस्य के रूप में समाज का सहयोग प्राप्त हो । यदि अकादमी के ५०० विशिष्ट सदस्य एवं ५१ सचालन समिति सदस्य रन जावें तो अकादमी की अपनी योजना के क्रियान्वयन में पूर्ण सफलता मिल सकेंगी । मुझे पूर्ण विश्वास है कि समाज के साहित्य प्रेमी महानुभावों का इस दिशा में पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा । मैं समाज को यह अवश्य विश्वास दिलाना चाहता हूं कि जिस उद्देश्य को लेकर ग्नन्थ अकादमी की स्थापना हुई है उसमें वह बराबर भागे बढ़ती रहेगी तथा पाँच वर्ष की अवधि में अर्थात् सन् १९८२ तक हिन्दी जन साहित्य को २० भागों में प्रस्तुत किया जा सकेगा । मुझे यह लिखते हुए प्रसन्नता है कि अकादमी को साहु अशोककुमारजी अन का संरक्षण प्राप्त है। अन्त में मैं डॉ० कासलीवाल जी का प्राभारी हैं जिन्होंने अपना समस्त जीवन जैन साहित्य की सेवा में समर्पित कर रखा है। श्री महाबीर ग्रन्थ मकादमी की स्थापना उन्हीं की कल्पनामों का साकार रूप है। प्रस्तुत पुस्तक के वे ही लेखक एवं सम्पादक है । इसके अतिरिक्त सम्पादक मण्डल के सभी विद्वानों का माभारी हूँ जिन्होंने इसे सर्वोपयोगी बनाने में अपना योग दिया है। साथ ही उन सभी महानुभावों का भी मैं प्राभारी हूँ जिन्होंने अकादमी की सदस्यता स्वीकार करके साहित्य सेवा की इस सुन्दर योजना को मूर्त रूप दिया है। २३६ टी. एस. रोड़ कन्हैयालाल जैन मद्रास

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