Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva Author(s): Kasturchand Kasliwal Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur View full book textPage 2
________________ अध्यक्ष की ओर से श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी की ओर से प्रकाशित “महाकवि ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिभुवनकीति" पुस्तक को पाका के हाथों : २७ हुने मुझे बड़ी प्रसन्नता है । प्रस्तुत पुस्तक महावीर ग्रन्थ प्रकादमी का प्रथम प्रकाशन है जो समूचे हिन्दी जैन साहित्य को २० भागों में प्रकाशित करने के उद्देश्य से स्थापित की गयी है। हिन्दी भाषा में जैन कवियों द्वारा निधन विशाल साहित्य उपलब्ध होता है। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी के साहित्य शोध विभाग की अोर से डा० कासलीवाल के सम्पादन में राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ सूचियों के पांच भाग प्रकाशित हुए हैं उनमें जन कवियों की सेकड़ों रचनाओं का उल्लेख मिलता है। डा• कासलीवाल जी ने "राजस्थान के अन सन्त-व्यक्तित्व एवं कृतिस्व" तथा "महाकधि दौलतराम कासलीवाल - व्यक्तित्व एवं कृतित्व" इन दो पुस्तकों के माध्यम से जन कवियों के महत्वपूर्ण साहित्य का परिचय प्रस्तुत किया है जिनका सभी अोर से स्वागत हपा है। समाज में कितनी ही उच्चस्तरीय प्रकाशन संस्थाय है ले किन हिन्दी में निबच जैन कवियों के साहित्य के प्रकाशन की कहीं कोई योजना नहीं दिखलायी दी । डा. कासलीवाल जी ने एवं उनके वीटे भाई वंद्य प्रभुदयाल जी जैन ने जब मुझे श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी की पोजना के बारे में बतलाया तो मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई और मैंने तत्काल इस प्रोर मागे कार्य करने के लिये उनसे प्राग्रह किया । अन्य अकादमी की स्थापना डा० कासलीवाल की सूभवूझ का प्रतिफल है । मुझे यह लिखते हुये प्रसन्नता है कि भकादमी की इस योजना का सभी ओर से स्वागस हो रहा है। "महाकवि ब्रह्म रायमल्ल एवं भट्टारक त्रिमृबनकीति" मन्य अकादमी का सन् १९७८ का प्रथम प्रकाशन है जिसमें १७ वीं शताब्दी के प्रथम चरण में होने वाले दा प्रमुख कवियों का परिचय एवं उनकी मूल कृतियों के पाठ दिये गये हैं। इसी वर्ष में प्रकादमी की ओर से दो भाग और प्रकाशित किये जायेंगे जिनमें कविवर युवराज एवं महाकवि ब्रह्मा जिनदास तथा उनके समकालीन कवियों की कृतियां एवं उनकी ।Page Navigation
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