Book Title: Kuvalayamala Katha Sankshep
Author(s): Udyotansuri, Ratnaprabhvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai
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1 पसिदो ताणं च मझे मणीण व कोरहो, गवाण व सुर-नाओ, समुद्दाण व खीरोवही, पुरिसाण व चकदरो, दुमाण व कण्य- 1 पायवो, गिरीण व सुरगिरी, सुराण व पुरंदरो, तहा सव्व-धम्माणं उवरिं रेहइ जिणयंद-भासिओ धम्मो ति । सो उण चउवि । तं जहा । दाणमइओ, सीलमइओ, तवोमइओ, भावणामइभ त्ति । तत्थ पढमं चिय पदम - तित्थयर-गुरुणा इमिणा चैव चविवह धम्म-कमेण सयल- विमल केवलं वर-णाणं पि पावियं । जेण अविभाविय णिण्णुण्णय-जल-थल - विवराइ-भरियभुवगेणायाल-काल-जलहरेण विय वरिसमाणेण णीसेस-पणइयण-मणोरहन्भहिय- दिष्ण-विहव-सारेण पवत्तिओ पढमं तेलोकबंधुणा 'मो भो पुरिसा दागमइनो धम्मो चि पुणो 'सुर-सिद्ध-गंधव किष्णरोग्य-गर-दइच-पच सम्यं मे पार्व अकर- 0 निति पण्णा-मंदरमातेण पयासिनो लोक-गुरुणा सीहमइभो घम्मो चि पुणो उट्ठम दसम दुवास-मास मास-संवच्छरो ववास परिसंठिएण पयासिमो लोए 'तवोमइभो धम्मो' त्ति । तहिं चिय एगत्तासरणत्त-संसार-भाव-कम्म• वग्गणायाण-बंध मोक्ख-सुह- दुक्खणार- रामर- तिरिय- गहू- गमनागमण धम्म-सुक ज्झाणाहभावणाओ भावयतेण भासिओो भगवया 'भावणामइस धम्मो चि राम्रो ताव अम्हारिसा वारिसेहिं दाण-सील- तवेहिं दूरओ पेव परिहारिया, जेण धनस- संघयण-जिया संपर्क एसो पुण जिणवर वयणाववो जाय-संवेग-कारणो भावणामद्दनो सुद-करणको धम्मो सि । 18 कई । जाव महा-पुरिसाडिव दोस-सय-वयण- वित्यराबद-डोल-वय-पहरिसल्स दुज्जण-सत्यस्स मजा गया पर सम्म-18 मग्गण-मणा चिटुम्ह, ताव वरं जिणयंद-समण-सुपुरिस-गुण- कित्तणेण सहली कयं जम्मं ति । अवि य ।
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जा सुपुरि-गुणवित्थार-मलणा-मेत वावडा होमो । ता ताव वरं जिणयंद- समण - चरियं कथं हियए ॥
15 इमं च विचिंतिऊण तुब्भे वि णिसामेह साहिज्जमाणं किंचि कहावत्युं ति । अवि य ।
मा दोसे चिय गेह विरले वि गुणे पयासह जणस्स । अक्ख-पउरो वि उयही भण्णइ रयणायरो लोए ॥ ६६) तभ कहा- बंधं विचिंतेमिति । तत्थ वि
कमलावरो व कोसो विलुप्यमाणो वि हुण झीणो ॥ कमलासणो गुणको सरस्सई जस्स बटुकहा || लंबे दिसा करिणो कणो को वास वम्मीए ॥
पालित्तव- साचादण छप्पनय सीह गाय सदेहिं संखुद्ध मुद्ध-सारंगलो व कह ता पर्यदेनि ॥ निम्मल - मणेण गुण- गरुवपुण परमव्य-रवण-सारेण । पालिसपुण हालो हारेण व सह गोट्टीसु ॥ चक्काय- जुवल- सुहया रम्मत्तण-राय-हंस-कय-हरिला । जस्स कुल-पव्वयस्स व वियरइ गंगा तरंगवई ॥ भणि-विलासवइत्तण-चोलिके जो करेइ हलिए वि । कन्वेण किं पउत्थे हाले हाला - वियारे व्व ॥ पण हि कयणेन य भ्रमरेहि व जस्स जाय पणएहिं सवल कलागम-पिछवा सिक्लाविय- कयणस्स मुहर्षदा जे भारह - रामायण-दलिय-महागिरि सुगम्म-कय-मग्गे छप्पण्णयाण किंवा भण्ण कद्र-कुंजराण भुषणम्मि भण्णो विछेय-भणिनो न वि उबजिए जेहिं ॥ लायण्ण-वयण-सुइया सुवण्ण-रयणुज्जला य बाणस्स । चंदावीडस्स वणे जाया कार्यबरी जस्स ॥ जारिस विमलको विमलं को तारिसं लहइ अत्यं । अमय मइयं व सरसं सरसं चिय पाइयं जस्स ॥ ति-पुरिस-चरिय-पसिद्ध सुपुरिस-चरिएण पायडो लोए । सो जयइ देवगुत्तो से गुत्ताण राय-रिसी ॥ बुण सहस्सद हरिवंसुप्यति कारणं पढमं । वंदामि दियं पि हरिवरिसं चेय विमल-पये | हु संणिहिय-जिनवरिंदा धमकदा बंध-दिलिय गरिंदा कहिया जेण सुकहिया सुलोषणा समवसरणं व ॥ ससूण जो जस-हरो जसहर चरिएण जणवए पयडो । कलि-मल-पभंजणो चिय पभंजणो आसि राय-रिसी ॥
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कुवलयमाला
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1 ) P गयो. 2 ) Jम्माण, Pom. मासिओ, Jom धम्मो 3 ) तओम, P°मईओ ( last three ) मंति4) P कम्मेण, Pom. वरणाण. 5 ) P भुयणे काल, विअ, "माणेण सेस P समाणे णीसेस, विविध for विश्व, पढमं तेलोक पढमतेलक. 6 ) J भोहो पु', P पुरिस, P किन्नरोरयणा यर. 7 ) P मंदिर, 'मईओ, पुणो च्छ 8 ) तओ, for तवो, P "मईओ, चित्र P तिय, P सरणता, P सहाव for भाव 9 ) P नरामर, P धम, J झाणाई भावणाउ, यन्तेण, P भाविओ. 10 ) त्ति छ । चेय for चेव 11 ) P संधयं, उण, बोइ for बोहओ, P जाइ, P°मईओ, for सुर सुह, उत्ति छ । 12 ) P राव, P वड्डिय य हरिसदुज्जण. 13 ) 3 चिट्ठम्हं, P ता वरं. 14 ) J गुणु, P वित्थर, J om. ता. 15) च विचिन्ति' P च चिंतिऊणं, P निसा, वत्थु त्ति. 16 ) P पंससद जिणस्स, उअही. 17 ) J कहाबद्धं, om. ति 18 ) P साहलाहण, छप्प, P सद्देण ।, JP गउ. 19 P निम्मलगुणेण, 3 गरुअ ण, P गुरुयएयण. 20)जुअल, P रंम", P कुलपव्व ं, P तरंगमई. 21 ) J भणिई P भणिय, वो (चो) लिके चोकिले, J has a marginal gloss मदिरा on the word हाला. 22 ) P ईहिं, कइअणेण, P "रेहिं, Pन for ण. 23 ) P -निलया, P कइयणो सुमुह, P सणा गुणड्डूा. 24 ) Pom. कय, धम्मीए P वंमीए 25 ) P छप्पन्न, P भन्नइ, P कय for कइ, भुअणंमि P भुवणंमि, P अनो. 26) P लायन्न, P सुयण्ण, P वीणस्स. 27 ) J को अण्णो (हुअणो on the margin) for the 2nd विमलं को, मह व मध्यं चचिय पाययं विय पाइयं. 28 ) P तिउरिस. 29 Jदइअं P हु हरिवंस चेव 30 > सहिय सन्निहिय, P नरिंदा, सुकहियाउ सु, P वा for व 31 ) P जसहरिचरिएहिं P मलयभंजणो, P पइंजणो.
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