Book Title: Khartar Gaccha Ka Itihas Author(s): Gyansundar Maharaj Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala View full book textPage 4
________________ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ~ ........... वरसार.................. १०. प्रभाविक चरित्र में जिनेश्वरसूरि.. ११. दर्शन सप्ततिका में जिनेश्वरसूरि १२. जिनवल्लभीय प्रशस्ति में जिनेश्वरसूरि १३. ऋषभदेव चरित्र में जिनेश्वरसूरि १४. मुनिसुव्रत चारित्र में जिनेश्वरसूरि ..... १५. आबु मन्दिर का शिलालेख ......... १६. संघपट्टक की टीका में जिनेश्वरसूरि १७. वीर चरित्र में जिनेश्वरसूरि .... १८. गणधर सार्द्धशतक में जिनेश्वरसूरि १९. धन्नाशालिभद्र चरित्र में जिनेश्वरसूरि २०. द्वादश कुलक में जिनेश्वरसूरि ................. २१. श्रावक धर्म प्रकरण में जिनेश्वरसूरि.. २२. आचार दिनकर की टीका में जिनेश्वरसूरि ... २३. आचारांगसूत्र की दीपका (जिनहंससूरि).... २४. जैसलमेर का शिलालेख १-२ ....... २५. ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ख. प. २६. खरतर पट्टावली.. २७. राजा दुर्लभ के राज का समय.... खरतरमतोत्पत्ति-भाग तीसरा १. जिनवल्लभ का परिचय (गणधर सार्द्धशतक) ...... २. जिनवल्लभ की दीक्षा और गुरु से कलह ३. जिनवल्लभ चैत्यवासी और उनका विरोध .... ४. वल्लभ ने किसी संविग्न के पास दीक्षा नहीं ली थी.. वल्लभ ने छटे कल्याणक की उत्सूत्र प्ररुपणा की ...... वल्लभ ने छट्ठा कल्याणक प्रगट किया .... वल्लभ ने कंधा ठोक कर छट्ठा कल्याणक प्रगट किया. ८. ऋषभदेव के छ: नक्षत्र .. ९. तीर्थंकर का उग्रकुलादि में जन्म के विषय .... १०. मरिचि का मद से नीच गौत्रोपार्जन करना ............... ११. हरिभद्रसूरि के पंचासक में ५ कल्याणक .......... १२. अभयदेवसूरि की टीका में ५ कल्याणक ..... ........... ॐ 35 5Page Navigation
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