Book Title: Kavyashatakam Mulam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 965
________________ 644 ) [ काव्यषट्कं प्रत्याजयन्सिचयमाजिमकारयन्वा दन्तै खैश्च मदनो मदनः कथं स्यात् / / 140 / / इति पठति शुके मृषा ययुस्ता बहु नपकृत्यमवेत्य सांधिवेलम् / कुपितनिजसखीदृशार्धदृष्टाः ___ कमलतयेव तदा निकोचवत्या // 141 / / अकृत परभतः स्तुहि स्तुहीति ___श्रुतवचनस्रगनूक्तिचुञ्चुचञ्चुः / पठितनलनुति प्रतीव कीर। ____ तमिव नपं प्रति जातनेत्ररागः / / 142 / / तुङ्गप्रासादवासादथ भृशकृशतामायती केलि कुल्या मद्राक्षीदर्कबिम्बप्रतिकृतिमविना भीमजा राजमानाम् / वक्रं वक्रं व्रजन्ती फरिणयुवतिमिति त्रस्नुभिर्व्यक्तमुक्तान्योन्यं विद्रुत्य तीरे रथपदमिथुनः सूचितामतिरुत्या / 143: अथ रथचरणौ विलोक्य रक्ता वतिविरहासहताहताविवार / अपि तमकृत पद्मसुप्तिकालं श्वसनविकीर्णसरोजसौरभं सा // 144 / / अभिलपति पति प्रति स्म भैमी सदय ! विलोकय कोकयोरवस्थाम् / मम हृदयमिमौ च भिन्दतीं हा क इव विलोक्य नरो न रोदितीमाम् / / 145 / / कुमुदमुदमुदेष्यतीमसोढा रविरविलम्बितुकामतामतानीत् / प्रतितरु विरुवन्ति किं शकुन्ताः स्वहृदि निवेशितकोककाकुकुन्ताः // 146 / /

Loading...

Page Navigation
1 ... 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974 975 976 977 978 979 980 981 982 983 984 985 986 987 988 989 990 991 992 993 994 995 996 997 998 999 1000 1001 1002 1003 1004 1005 1006 1007 1008 1009 1010 1011 1012 1013 1014