Book Title: Kasaypahudam Part 11 Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh View full book textPage 4
________________ [3] प्रथम संस्करण के प्रकाशन पर सम्पादक द्वारा अग्रलेख. शरम कसायपाहुड के पाँचवें भाग अनुभाग विभक्ति को एक वर्ष पश्चात् ही प्रकाशित करते हुए हमें हर्ष होना स्वाभाविक है। यह भाग भी डोंगरगढ़ के उदारमना दानवीर सेठ भागचन्द्र जी | के द्वारा दिये गये द्रव्य से ही प्रकाशित हुआ है और आगे के भाग भी उन्हीं के द्रव्य से प्रकाशित हो रहे हैं इसके लिये सेठ जी व उनकी धर्म पत्नी सेठानी नर्वदाबाई जी दोनों धन्यवाद के पात्र हैं। सम्पादन आदि का भार पूर्ववत् पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्री और हम दोनों ने वहन किया है। प्रेस सम्बन्धी सब झंझटों को पं० फूलचन्द्र जी ने उठाया है। एतदर्थ मैं पंडितजी का भी आभारी हूँ। काशी में गङ्गा तट पर स्थित स्व० बाबू छेदीलाल जी के जिन मन्दिर के नीचे के भाग में जयधवला कार्यालय अपने जन्म काल से ही स्थित है और यह स्व० बाबूसाहब के सुपुत्र बाबू गणेशदास जी और पौत्र बा० सालिगराम जी तथा बा० ऋषभचन्दजी के सौजन्य और धर्म प्रेम का परिचायक है, अतः मैं उनका भी आभारी हूँ। नया संसार प्रेस के स्वामी पं० शिवनारायण जी उपाध्याय तथा उनके कर्मचारियों ने इस भाग का मुद्रण बहुत शीघ्र करके दिया, एतदर्थ वे भी धन्यवाद के पात्र हैं। जयधवला कार्यालय भदैनी, काशी दीपावली - 2495 कैलाशचन्द्र शास्त्री मंत्री साहित्य विभाग भा. दि. जैन संघPage Navigation
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