Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami
Publisher: Barsasutra PRakashan Samiti
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कल्प० वारसा
॥ ८१॥
| अपडिलेहणा-सीलस्स अपमज्जणा-सीलस्स तहा तहा संजमे दुराराहए भवइ ।सू . ५३॥ | अणादाणमेयं, अभिग्गहिय-सिज्जासणियस्स उच्चाकूइयस्स अट्टाबंधियस्स मियासणियस्सआया
लसामाचारी वियस्स समियस्स अभिक्खणं अभिक्खणं पडिलेहणा-सीलस्स पमज्जणा-सीलस्स तहा तहा | संजमे सुआराहए भवइ ॥ सू . ५४॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंहै थीण वा तओ उच्चार-पासवणभूमीओ पडिलेहित्तए, न तहा हेमंतगिम्हासु जहा णं वासासु, | से किमाहु भंते ! ? वासासु णं उस्सण्णं पाणा य तणा य बीया य पणगा य हरियाणि य: | भवंति ॥सू . ५५॥ वासावासं पज्जोसवियाणं कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा तओ मत्त| गाइं गिण्हित्तए, तंजहा-उच्चारमत्तए, पासवणमत्तए, खेलमत्तए ॥सू . ५६॥ वासावासं पज्जोसवियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा परं पज्जोसवणाओ गोलोमप्पमाणमित्तेवि केसे तं रयणिं उवायणावित्तए। अज्जेणं खुरमुंडेण वा लुक्कसिरएण वा होइयव्वं सिया। पक्खिया 8 ॥१॥ आरोवणा, मासिए खुरमुंडे, अद्धमासिए कत्तरिमुंडे, छम्मासिए लोए, संवच्छरिए वा थेरकप्पे

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