Book Title: Kalpsutram
Author(s): Bhadrabahuswami
Publisher: Barsasutra PRakashan Samiti

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Page 191
________________ 4 2- गई भिल्लनृपः टि SA9 द्मती ही जिनशासनेश !। यद्गर्दभिल्लेन नृपाधमेन, मां नीयमानां निजवेश्म रक्ष ॥११॥ इति ब्रुवाणा कुनृपेण पुम्भि-नीता-निजं | धाम महासती सा। ज्ञात्वा च वृत्तान्तमथैनमुच्चै-श्रुकोप सूरिर्गुणलब्धिभूमिः ॥ १२॥ श्रीकालिकाचार्यगुरुर्नृपान्ते, जगाम कामं नयवाक्यपूर्वम् । नृपं जगादेति नरेन्द्र ! मुञ्च, स्वसारमेतां मम यतस्थाम् ॥१३॥ अन्योऽपि यो दुष्टमतिः कुशीलो, भवेत्त्वया स प्रतिषेध्य एव । अन्यायमार्ग स्वयमेव गच्छ-न्न लजसे सत्यमिदं हि जातम् ॥१४॥ GKacticeTS S RA 602 से SApan DooeARNyg

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