Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 16
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 441
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२६ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची २० विहरमानजिन स्तवन, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: बीसे विहरमान जिनराया; अंति: समयसुंदर० पाय सेवा, गाथा-४. ९. पे. नाम. मुहपत्ती पडिलेहन, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण. ___मुहपति पडिलेहण के २५ बोल, मा.गु., गद्य, आदि: सूत्र अर्थ साचौ सरदह; अंति: अंगनी पडिलेहण जाणवी. १०. पे. नाम. सीमंधरजिन स्तवन, पृ. ११अ-१२अ, संपूर्ण. सीमंधरजिन विनती स्तवन, उपा. भक्तिलाभ, मा.गु., पद्य, आदि: सफल संसार अवतार हं; अंति: प्रभु आसा अमतणी, गाथा-१८. ११.पे. नाम. पार्श्वप्रभु स्तवन, पृ. १२अ-१४आ, संपूर्ण.. जयतिहुअण स्तोत्र, आ. अभयदेवसूरि, प्रा., पद्य, वि. १२वी, आदि: जय तिहुयणवरकप्परुक्ख; अंति: अभयदेव विन० आणंदिउ, गाथा-३०. १२. पे. नाम. ज्ञानपंचमी स्तवन, पृ. १४आ-१६अ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीपर्वमहावीरजिन स्तवन-बृहत्, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: प्रणमुं श्रीगुरु पाय; अंति: समयसुंदर० प्रसंसीयौ, ढाल-३, गाथा-२०. १३. पे. नाम. ज्ञानपंचमी लघु स्तवन, पृ. १६अ, संपूर्ण. ज्ञानपंचमीपर्व स्तवन-लघु, उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: पंचमीतप तुमे करोरे; अंति: समयसुंदर० भेद रे, गाथा-५. १४. पे. नाम. मंगल पाठ, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण. साधारणजिन स्तुति प्रार्थना संग्रह, प्रा.,मा.गु.,सं., पद्य, आदि: दर्शनं देव देवस्य; अंति: हन्यते जिन वंदनात्, गाथा-१०. १५. पे. नाम. पार्श्वजिन स्तवन, पृ. १६आ, संपूर्ण. मु. जिनचंद, रा., पद्य, आदि: प्राण पीराजी हो पास; अंति: जिनचंद० प्रभु सुखवास, गाथा-५. १६. पे. नाम. चिंतामणिजिन स्तवन, प्र. १६आ-१७अ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तवन-चिंतामणि, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, वि. १८३०, आदि: श्रीचिंतामणि पास; अंति: जिनचंद्र० जुगतिसु, गाथा-५. १७. पे. नाम. संखेस्वरा पार्श्वनाथजी लघु स्तवन, पृ. १७अ-१७आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है. पार्श्वजिन स्तवन-शंखेश्वर, आ. जिनचंदसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीशंखेश्वर पासजिन; अंति: जिनचंद सयलरिपु जीपतो, गाथा-५. १८. पे. नाम. वैराग्य पद, पृ. १७आ-१८अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-वैराग्य, मु. राजसमुद्र, रा., पद्य, आदि: सुणि बहिनी प्रीउडो; अंति: राजसमुद्र० सोभागीरे, गाथा-७. १९. पे. नाम. शिखरजी चैत्यवंदन, पृ. १८अ, संपूर्ण.. सम्मेतशिखरतीर्थ चैत्यवंदन, मु. कल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: पूरव दिसे दीपतो; अंति: तीरथ करण कल्याण, गाथा-३. २०. पे. नाम. सिद्धचक्र चैत्यवंदन, पृ. १८अ, संपूर्ण. सिद्धचक्र नमस्कार, उपा. क्षमाकल्याण, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीअरिहंत उदार कांत; अंति: कल्याण० चेतन भूप, गाथा-६. २१. पे. नाम. चिंतामणिपार्श्वजिन स्तवन, पृ. १८अ-१८आ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी जिनबिंबपूजा स्तवन, आ. जिनचंद्रसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: भविका श्रीजिनबिंब; अंति: श्रीजिनचंद्र सहाई रे, गाथा-११. २२. पे. नाम. आदीसरजिन स्तवन, पृ. १८आ-२०अ, संपूर्ण, पे.वि. यह कृति इस प्रत के साथ एक से अधिक बार जुडी हुई है. For Private and Personal Use Only

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