Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 16
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 474
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१६ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपा. जयसोम, मा.गु., पद्य, वि. १७०३, आदि: पास जिणेसर पाय नमी; अंति: भणी जेसलमेर मझार, ढाल - १३, गाथा - १२९. २. पे. नाम. त्रिविध धूर्तलक्षणं पृ. ६अ, संपूर्ण. औपदेशिक श्लोक सं., पद्य, आदि: मुखं पद्मदलाकार, अंतिः त्रिविध धूरत लक्षणं, श्लोक १. ३. पे नाम. आषाढाभूति सज्झाय, पृ. ६आ-८अ संपूर्ण , आषाढाभूतिमुनि सज्झाय, मु. भावरत्न, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: श्रीश्रुतदेवी हिइ; अंति: भावरत्न सुजगीस रे, ढाल ५, गाथा - ३७. ४. पे. नाम. कायानी सझाय, पृ. ८ अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय - कायाविषे, मा.गु., पद्य, आदि: भुलो मनभमरा काई भम्य; अंतिः रिया लेखो साहीब हाथ, गाथा- ७. ५. पे नाम, सालीभद्रनी सज्झाय, पृ. ८अ ८आ, संपूर्ण शालिभद्रमुनि सज्झाय, मु. सहजसुंदर, मा.गु., पद्य, आदि प्रथम गोवाल्या तणो अंतिः गवोजी सहजसुंदरनी वाण, ४५९ गाथा - १६. ६. पे. नाम. रोहिणीतप वर्णन स्वाध्याय, पृ. ९अ, संपूर्ण रोहिणीतप सज्झाय, आ. विजयलक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि: श्रीवासुपूज्य जिणंद, अंतिः विजयलक्ष्मीसूरि भूप, गाथा - ९. ७. पे. नाम. सीतामहासती सिझाय, पृ. ९आ, संपूर्ण. सीतासती सज्झाय- शीलविषये, ग. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि जलजलती मिलती घणी रे; अंतिः जिनहर्ष० पाय रे, गाथा - ९. ८. पे. नाम. अदत्तादान पापस्थानक सज्झाय, पृ. १० अ, संपूर्ण. उपा. यशोविजयजी गणि, मा.गु., पद्य, आदि: चोरी व्यसन निवारीये अंतिः जस० पुन्यसुं प्रेमके, गाथा- ६. ९. पे नाम, नेमराजुल सिझाय, पृ. १०आ, संपूर्ण, नेमराजिमती स्तवन, मु. देवविजय, मा.गु., पद्य, वि. १८वी, आदि: अवल गोखने अवल झरुंखे, अंतिः सेवक देव कहे ज अकारि, गाथा- ७. १०. पे. नाम. पंचमआरानी सझाय, पृ. ११अ ११आ, संपूर्ण. पंचमआरा सज्झाय, मु. जिनहर्ष, मा.गु., पद्य, आदि: वीर कहे गौतम सुणो; अंति: जिन० भाख्या वयण रसाल, For Private and Personal Use Only गाथा - २१. ११. पे नाम पनरतिथि सझाय, पृ. १२-१२आ, संपूर्ण. मराजिमती स्तवन- १५ तिथिगर्भित, ग. रंगविजय, मा.गु., पद्य, आदि; जे जिनमुखकमले विराजे अंतिः रंगविजय वधते रंगे, गाथा- २३. १२. पे. नाम. पंचमी सझाय, पृ. १२आ - १३आ, संपूर्ण, ले. स्थल. सुरत. ज्ञानपंचमीपर्व सज्झाय, आ. लक्ष्मीसूरि, मा.गु., पद्य, आदि श्रीवासुपूज्य जिणेसर, अंति: संघ सकल सुखदाय रे, ढाल - ५, गाथा - १६. १३. पे. नाम. अरणिकमुनि सज्झाय, पृ. १३आ - १४अ, संपूर्ण. मु. रूपविजय, मा.गु., पद्य, आदि: अरणिक मुनिवर चाल्या; अंतिः रूपविजे० फल लिए जी, गाथा- ७. १४. पे. नाम क्रोध सझाय, पृ. १४अ, संपूर्ण. औपदेशिक सज्झाय-क्रोधपरिहार, मु. उदयरत्न, मा.गु, पद्य, आदि: कडुवां फल छे क्रोधना, अंति: उदयरतन० उपसम रसनांही गाथा ६. १५. पे. नाम. गोतमनी छंद, पृ. १४आ, संपूर्ण. गौतमस्वामी स्तोत्र, आ. देवानंदसूरि, सं., पद्य, आदि: इंद्रभूतिं वसुभूति अंतिः लभते नितरा क्रमेण श्लोक- ९.

Loading...

Page Navigation
1 ... 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612