Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 16
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 546
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची १.१.१६ ५३१ औपदेशिक पद, मु. अमी ऋषि, पुहि., गा.८, पद्य, श्वे., (इम सुख मिलसी रे चेतन), ६४६०७-४७(+) औपदेशिक पद, मु. अमी ऋषि, पुहि., गा. ११, पद्य, श्वे., (किम सुख मिलसीरे चैत), ६४६०७-४६(+) औपदेशिक पद, मु. अमी ऋषि, पुहिं., पद. ४, पद्य, श्वे., (चित्त चेतो रे सुजान), ६४६०७-३५(+) औपदेशिक पद, मु. अमी ऋषि, पुहिं., गा. ६, पद्य, श्वे., (निज गुण भुलोरे चेतन), ६४६०७-४५(+) औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., गा. ३, पद्य, मूपू., (तुं है हि तुहमारो रे), ६८२३४-१५(+#) औपदेशिक पद, मु. आनंदघन, मा.गु., गा. ३, पद्य, मूपू., (मनवा जिणंद गुण गाय), ६७७९५-२ औपदेशिक पद, मु. आनंदराम, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (छोटीसी जान जरासा), ६८२५६-१५१(+) औपदेशिक पद, कबीर, पुहि., पद. ४, पद्य, वै., (मन मगन भया जब क्या), ६८३०३-७ औपदेशिक पद, मु. कुसल, पुहि., गा. ५, पद्य, म्पू., (सुकरत करले रे मुंजी), ६८०९८-१८($) औपदेशिक पद, मु. गुणविलास, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (दया विन करणी दुःखदान), ६८२५६-१४२(+) औपदेशिक पद, मु. गोपालसागर, पुहि., गा. ६, पद्य, मूपू., (--), ६७०७३-३($) औपदेशिक पद, मु. चेतन, पुहिं., गा. ६, पद्य, मूपू., (कोण करे जंजाल जगमें), ६८२५६-१४०(+) औपदेशिक पद, मु. चोथमल ऋषि, पुहि., गा.७, पद्य, स्था., (अब लगा खलक मोय खारा), ६३४९१-१३(+) औपदेशिक पद, जालिम, पुहिं., गा. ९, पद्य, जै.?, (सुण भाई रे तेरा कीया), ६८३०३-४(६) औपदेशिक पद, मु. जिनदास, पुहिं., गा. ४, वि. १७वी, पद्य, मूपू., (तुम तजौ जगत का ख्याल), ६७०४२-६(+) औपदेशिक पद, मु. जिनरंग, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (सब स्वारथ के मित्र), ६८२५६-८९(+) औपदेशिक पद, मु. जिनराज, पुहि., गा. ३, पद्य, मूपू., (कहारे अग्यानी जीव), ६५२३६-११(+), ६७९६१-१३(+#), ६८२५६-८८(+) औपदेशिक पद, जेष्ठ, पुहिं.,रा., गा. ६, पद्य, जै., (चेतन तुं ध्यान आरत), ६८०९८-१७ औपदेशिक पद, श्राव. जोधमल, मा.गु., गा. ५, पद्य, मूपू., (समकित विन जीव जगत), ६७७५५-६ औपदेशिक पद, आ. ज्ञानविमलसूरि, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (हां रे तुमे जोजो रे), ६३४६४-६३(#) औपदेशिक पद, मु. दयाचंद, मा.गु., गा. ७, वि. १८७८, पद्य, मूपू., (सुमताई सागर गुण), ६४६०८-३४(-2) औपदेशिक पद, ग. देवचंद्र, मा.गु., गा. ४, पद्य, मूपू., (परम अध्यात्म ने लखे), ६३५३१-२(+) औपदेशिक पद, मु. देवीचंद, मा.गु., पद. ४, पद्य, श्वे., (करम सतु मारो काइ), ६४६०८-१७(-2) औपदेशिक पद, ऋ. देवीदासजी, पुहिं., गा. ४, पद्य, श्वे., (दुरमति दूर खडी रहो), ६३६२५-११(+) औपदेशिक पद, मु. दौलत, पुहि., दोहा. ४, पद्य, मूपू., (गुणीजन गायन सुणो मोय), ६७७२१-८(#) औपदेशिक पद, मु. दौलत, मा.गु., दोहा. ५, पद्य, मूपू., (बुड्या तेहिज जाणो), ६७७२१-७(#) औपदेशिक पद, मु. दौलत, मा.गु., दोहा. ९, पद्य, मूपू., (बेठा भागी नावमा रे), ६७७२१-५(#) औपदेशिक पद, मु. दौलत, मा.गु., दोहा. ९, पद्य, मूपू., (सेठ वेठ कोई तुं नहीं), ६७७२१-४(#) औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहिं., गा. ४, पद्य, मूपू., (जैनधर्म पायो दोहिलो), ६८२५६-१३७(+) औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहि., गा. ४, पद्य, मूपू., (नही ऐसा जनम बारूंबार), ६५१९३-८(+#) औपदेशिक पद, मु. नवल, पुहि., गा. ३, पद्य, श्वे., (पुद्गल क्या विसवासा), ६८२५६-१३८(+), ६७९८०-३, ६८३०३-११ औपदेशिक पद, परतापगिरि यति, पुहि., गा. ५, पद्य, वै., (गगन मंडल में रेणा), ६७७५५-१३ औपदेशिक पद, जै.क.बनारसीदास, पुहिं., गा. ३, वि. १७वी, पद्य, दि., (कित गये पंच किसान), ६८४१२-४१(2) औपदेशिक पद, जै.क. बनारसीदास, पुहिं., गा. ३, पद्य, दि., (धरम करत संसार सुख), ६३३९०-२०(+$), ६३६२५-१४(+$) औपदेशिक पद, जै.क. बनारसीदास, पुहि., गा. ४, वि. १७वी, पद्य, दि., (वा दिन को कछु सोच रे), ६३३९०-४(+) औपदेशिक पद, मु. ब्रह्मगुलाल, पुहिं., गा. ५, पद्य, मूपू., (ए दिन युं ही जात टरै), ६८४१२-३९(2) औपदेशिक पद, मु. भूधर, पुहिं., गा. ५, पद्य, श्वे., (चरखा भया पुराना रे), ६३६२५-२७(+) औपदेशिक पद, मु. भूधर, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (ते मेरा दरद न पाया), ६३६२५-७(+) औपदेशिक पद, जै.क. भूधरदास, पुहि., गा. ४, पद्य, दि., (समज के सिर धूल ऐसी स), ६५०९७-१०(+#) औपदेशिक पद, मु. भूधर, पुहि., गा. ४, पद्य, श्वे., (मारै गुरांदीनो माने), ६३६२५-१०(+) For Private and Personal Use Only

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