Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 16
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

View full book text
Previous | Next

Page 511
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४९६ www.kobatirth.org संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत- पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वः पातु वो), ६३१५३-९(००), ६४८३०-२०), ६७५७७-२(+), ६७९५४(५) पार्श्वजिनमहिम्न स्तोत्र, आ. रघुनाथ, सं., श्लो. ४१, वि. १८५७, पद्य, स्था., (महिम्नः पारं ते परम), ६७३७२- १(+#) पार्श्वजिन यमकाष्ठकवद्ध स्तोत्र- रावणमंडन, मु. कर्मसागर पाठक, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपु. ( ध्यायंति राज्ञो विभव), ६३१२५-२(*) (२) पार्श्वजिन यमकाष्टकबद्ध स्तोत्र - रावणमंडन - अवचूर्णि, मु. देवकल्लोल, सं., गद्य, मूपू., (सवणकि रावणग्रामे के), ६३१२५-२(+) - יי पार्श्वजिन लघुस्तवन- इरियापथिकी मिथ्यादुष्कृत विचारगर्भित, उपा. समयसुंदर गणि, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (मणुयातिसव तिडुत्तर न), ६५९७८-६(+) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पार्श्वजिन वृद्धस्तवन, मु. रत्नसोम, सं., श्लो. १४, पद्य, मूपू., (श्रीगीर्वाणप्रणतां), ६४१५१-३२(+) पार्श्वजिनसहस्रनाम स्तोत्र, सं., श्लो. १२९, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वनाथं वामे), ६७५७४(+) पार्श्वजिन स्तव, मु. जिनचंद्र, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू (भुजंगलक्षणलक्षिण), ६४९७७-१३(१) पार्श्वजिन स्तव, श्राव. वेल्हण, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (जयति भुजगराजप्राज्य), ६३१२५-१(+) (२) पार्श्वजिन स्तव टीका, मु. देवकल्लोल, सं., गद्य, मूपू. (तन्यातमाल द्रगण), ६३१२५-१(+) पार्श्वजिन स्तव - अट्टेमट्टेमंत्राम्नाय गर्भित, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (ॐ नमो भगवते श्री), प्रतहीन.. (२) पार्श्वजिन स्तव - अमट्टेमंत्राम्नाय गर्भित मंत्रसाधन विधि, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू.. ( कुंकुमगोरोचनकर्पूर), ६७८५८- २ (६) पार्श्वजिन स्तव - कलिकुंड, आ. मुनिचंद्रसूरि सं., श्लो १०, पद्य, भूपू ( नमामि श्रीपा), ६७८५८-४ पार्श्वजिन स्तवन, मु. नवरंग, मा.गु. सं., गा. १२, पद्य, मूपू., (जवउ रिषभवर्द्धमानी), ६४९७७-१७/४) पार्श्वजिन स्तवन, मु. रूपचंद्रोदय, सं., गा. ८, पद्य, मूपू (जय जिन तारक हे), ६७४४०-३, ६४९७७-१५ (०) पार्श्वजिन स्तवन, ग. श्रीसुंदर, सं., श्लो. १३, पद्य, मूपू., (प्रणुतपार्श्वपतेः), ६४९७७-१४(#) पार्श्वजिन स्तवन, प्रा., गा. ४, पद्य, मूपू., (तं नमह पासनाहं धरणिं), ६४८३०-८(+) पार्श्वजिन स्तवन- पंचकल्याणक, मु. पुण्यसागर, अप., डा. ३, गा. १९, पद्य, मूपू. (पणमि पर परम पयत), ६५२४४-१(+) पार्श्वजिन स्तवन- वृद्ध, मु. जिनराजसूरि शिष्य, सं., श्लो. २२, पद्य, मूपू., (स्वस्ति श्रिये पार्श), ६४१५१-३१(+) पार्श्वजिन स्तवन-शृंखलाबंध, मु. जैनचंद्र, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (सर्वदेवसेवितपदपद्मं), ६४१७७-१८(#) पार्श्वजिन स्तव स्तंभन, अप., पद्य, भूपू (ॐ गह भूय जख रखस डाइण), ६४८३०-९ (+) पार्श्वजिन स्तव स्तंभनतीर्थ, सं., श्लो. २, पद्य, भूपू (श्रीसेडीतटिनीतटे), ६८२१४-६(+), ६८२५६-४(+), ६३०४६-३(०), ६८०१८-२१) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनतीर्थमंडन, मु. जयसागर सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (योगात्मनां यं मधुरं), ६४१७७-११(#) पार्श्वजिन स्तुति, आ, जिनभक्तिसूरि, सं. वो ४, पद्य, मूपू (कौमारे कमठस्य दुर्मत), ६७६८३-२ (+३) " पार्श्वजिन स्तुति, आ, जिनलाभसूरि, सं. लो. ४, पद्य, भूपू (विशदसद्गुणराजिविराजि), ६३२४७-४१ (+) " , For Private and Personal Use Only पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (कल्याणानि समुल्लसंति), ६७८६६-१० पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (तवेशनामतस्त्वरा दरा), ६४१७७-९(#) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (यस्य मूर्ध्नि वाभातू), ६७५९७-२ (+) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुरनिर्जरलोकं, ६३२४७-११+४), ६३००६-९, ६३०४६-१३०१, ६८०१८-६ (-) पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (प्रें दें कि धप), ६३२४७-२५ (+#), ६३०४६-२२(#), ६८०१८-१५) पार्श्वजिन स्तुति - पलांकित, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू (श्रीसर्वज्ञ ज्योति), ६३२४७-१९ (4) ६३००६-४, ६३०४६-१६ (क), ६४०११-१०(१) ६८०१८.५१ पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित जेसलमेरमंडन, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (शमदमोत्तमवस्तुमहापणं), ६३२४७-१२ (+#), ६८२५६-७६(+), ६३०४६-१५(१) ६८०१८-४११ पार्श्वजिन स्तुति - रत्नाकरपच्चीसी प्रथमश्लोकपादपूर्तिमय, सं., श्लो. ४, पद्य, मृपू. ( श्रेयः श्रियां मंगल), ६४८२१-४ पार्श्वजिन स्तुति-विविध तीर्थमंडण, प्रा., मा.गु., सं., गा. ४, पद्य, मूपू., (श्रीसेढीतटिनी तटेपुर), ६८१२३-४

Loading...

Page Navigation
1 ... 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612