Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 16
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१६
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मु. मालदास, पुहिं., पद्य, आदि: भलै मुख देख्यौ, अंतिः मलदास० हुं तुम तेरो, गाथा- ३.
९२. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ५६अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- अणहिलपुर गोडीजी इतिहास वर्णन, मु. प्रीतिविमल, मा.गु, पच, वि. १७वी, आदि; वाणी ब्रह्मवादिनी, अंति: प्रीतविमल० राम जपंतै, ढाल - ५, गाथा - ५५.
८७. पे. नाम. अजितशांतिजिन स्तवन, पृ. ५४-५५आ, संपूर्ण.
अजितशांति स्तवन, संबद्ध, उपा. मेरुनंदन, मा.गु., पद्य, वि. १५वी, आदि: मंगल कमलाकंद ए सुख, अंति: मेरुनंदण उवज्झाय ए, गाथा - ३२.
८८. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ५५आ, संपूर्ण.
मु. जिनराज, पुर्हि, पद्म, आदि कहारे अग्यानी जीव अंतिः जिनराज० सहज मिटावे, गाथा-३.
८९. पे नाम, वैराग्य पद, पृ. ५५ आ-५६अ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद, मु. जिनरंग, पुहिं., पद्य, आदि: सब स्वारथ के मीत है, अंतिः जिनरंग० आपा संभारा, गाथा-३. ९०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ५६अ, संपूर्ण.
मु. चंद, पुहिं., पद्य, आदि: बिराजत रूप भलो जिनजी; अंति: चंद० जगजीवन सबही को, गाथा - ३.
९१. पे नाम, साधारणजिन पद, पृ. ५६अ, संपूर्ण.
मु. धर्मसी, पुहिं., पद्य, आदि: मेरे मन मानी साहिब, अंति: धर्मसी० कनक करि लेवा, गाथा- ३. ९३. पे. नाम. अजितनाथ पद, पृ. ५६ अ-५६आ, संपूर्ण.
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अजितजिन पद, मु. खुशालचंद, पुहिं., पद्य, आदि: जै जै जै जगदीसर; अंतिः सेवक चंद खुस्याल, गाथा - ५. ९४. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ५६आ, संपूर्ण.
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मु. खुशालचंद, पुहिं, पद्य, आदि देखोजी आदीश्वरस्वामी, अंति: चंदखुस्याल जुगाया है, गाथा ४.
९५. पे. नाम. वीरजिन पद, पृ. ५६-५७अ, संपूर्ण.
महावीरजिन पद, मु. जिनचंद्र, मा.गु., पद्य, आदि: पावापुर महावीर जिणेस; अंति: जिनचंद्र० चितल्यावां, गाथा-५. ९६. पे नाम. सुविधिजिन पद, पृ. ५७अ, संपूर्ण.
मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: मुजरा साहिब मेरा; अंति: रूपचंद० तेरा रे, गाथा-५.
९७. पे नाम. साधारणजिन पद, पृ. ५७अ संपूर्ण.
गाथा - ५.
९९. पे नाम, आदिजिन पद, पृ. ५७आ, संपूर्ण.
मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदिः उठत प्रभात नाम जिनजी, अंति: हरखचंद० संपदा बधाइये, गाथा-४.
१०० पे नाम, आदिजिन पद, पृ. ५७-५८ अ, संपूर्ण.
साधारणजिन गीत, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदि: तुं ही निरंजन० इष्ट; अंति: रूपचंद० भव फेरा रे, गाथा-४. ९८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद. प्र. ५७अ ५७आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन प्रभाति, मु. लाभउदय, मा.गु, पद्य, आदिः उठोने रे म्हारा आतम अंतिः लाभउदय० सिद्धबधाई रे,
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आदिजिन स्तवन, पंडित. टोडरमल, पुहिं., पद्य, आदिः उठ तेरो मुख देखुं; अंति: टोडर० धरत लागो बंदा, गाथा - ५. १०१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ५८अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: सोयो तुं बहुत दिन, अंति: वान इह शिव माग रे, गाथा- ४.
१०२. पे. नाम. पंचतीर्थी स्तवन, पृ. ५८अ ५८आ, संपूर्ण.
५ तीथंजिन स्तवन, मु. लावण्यसमय, मा.गु. पद्य, आदिः आदए आदए आदिजिणेसरु ए; अंति: लावण्यसमै ० दुहग आपदा, गाधा-६, (वि. प्रतिलेखक ने २ गाथा को १ गाथा गिनकर लिखा है.)
१०३. पे. नाम. नवकार स्तवन, पृ. ५९अ, संपूर्ण.
नमस्कार महामंत्र स्तोत्र, मु. पद्मराज, मा.गु, पद्य, आदिः श्रीनवकार जपो मनरंगे अंतिः पदमराज० अपार रे माइ,
गाथा - ९.

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