Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 16
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 451
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४३६ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची लघुशांति, आ. मानदेवसूरि, सं., पद्य, आदि: शांति शांतिनिशांत; अंति: सूरिः श्रीमानदेवश्च, श्लोक-१७. १७२. पे. नाम. कल्याणमंदिर स्तोत्र, पृ. ९७आ-१००अ, संपूर्ण. आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., पद्य, वि. १वी, आदि: कल्याणमंदिरमुदार; अंति: कुमुद० प्रपद्यते, श्लोक-४४. १७३. पे. नाम. शांतिकर स्तवन, पृ. १००अ-१००आ, संपूर्ण. संतिकरं स्तोत्र, आ. मुनिसुंदरसूरि, प्रा., पद्य, वि. १५वी, आदि: संतिकरं संतिजिणं जग; अंति: सिद्धी भणइ सिसो, गाथा-१३. १७४. पे. नाम. सप्ततिशतजिन स्तोत्र, पृ. १००आ-१०१अ, संपूर्ण. तिजयपहुत्त स्तोत्र, प्रा., पद्य, आदि: तिजयपहुत्तपयासय अट्ठ; अंति: निब्भंतं निच्चमच्चेह, गाथा-१४. १७५. पे. नाम. पार्श्वजिनराज नवग्रहगर्भित स्तोत्र, पृ. १०१अ-१०१आ, संपूर्ण. पार्श्वजिन स्तोत्र-नवग्रहस्तुतिगर्भित, आ. जिनप्रभसूरि, प्रा., पद्य, वि. १४वी, आदि: दोसावहारदक्खो नालिया; अंति: जिणप्पहसूरिन पीडति, गाथा-१०. १७६. पे. नाम. सप्त स्मरण, पृ. १०१आ-१०९अ, संपूर्ण. सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय, मु. भिन्न भिन्न कर्तृक, प्रा., पद्य, आदि: अजिअंजिअसव्वभयं; अंति: भवे भवे पास जिणचंद, स्मरण-७. १७७. पे. नाम. परमेष्टी अंगरक्षा कवच, पृ. १०९अ-१०९आ, संपूर्ण. वज्रपंजर स्तोत्र, सं., पद्य, आदि: श्रीपरमेष्ठिनमस्कार; अंति: राधिश्चापि कदाचन, श्लोक-८. १७८. पे. नाम. पंचषष्टी संख्या स्तव, पृ. १०९आ-११०अ, संपूर्ण. २४ जिन स्तोत्र-पंचषष्टियंत्रगर्भित, मु. सुखनिधान, सं., पद्य, आदि: आदौ नेमिजिनं नौमि; अंति: सुखनिधानं० निवासम्, श्लोक-८. १७९. पे. नाम. वृद्धिशांति स्तोत्र, प्र. ११०अ-११२अ, संपूर्ण. बृहत्शांति स्तोत्र-तपागच्छीय, सं., प+ग., आदि: भो भो भव्याः शृणुत; अंति: जैनधर्मोस्तुमंगलम्. १८०. पे. नाम. दीक्षाग्रहण विधि, पृ. ११२अ-११४आ, संपूर्ण. साधुदीक्षाग्रहण विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: संध्यायां चारित्रो; अंति: याहिण८ वास९ उसग्गो१०. १८१. पे. नाम. जिन कल्याणक कोष्ठक, पृ. ११४आ-११६आ, संपूर्ण. २४ जिन १२० कल्याणक कोष्टक, प्रा.,मा.गु.,सं., गद्य, आदि: कार्तिकवदि १ नाणं; अंति: सुदी चवणं नमिनाहस्सउ. १८२. पे. नाम. जन्मकल्याणक दिन तिथि, पृ. ११६आ, संपूर्ण. जन्मकल्याणकादि दिन तिथि संख्या, मा.गु., गद्य, आदि: चवण जम्मणर चउथ सवि; अंति: २२२ तिथि निनाणु जाणु. १८३. पे. नाम. वीसस्थानिकतप करवानी विधि, पृ. ११६आ-११७अ, संपूर्ण. २० स्थानकतप विधि, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., आदि: नमो अरिहंताणं देवपूज; अंति: प्रभावना लोग० ५. १८४. पे. नाम. २० स्थानक नाम, पृ. ११७अ, संपूर्ण. प्रा., गद्य, आदि: अरिहंत १ सिद्धा २; अंति: सुय १९ पवयणे २०. १८५. पे. नाम. १२० कल्याणक विचार, पृ. ११७अ-११७आ, संपूर्ण. प्रा.,सं., गद्य, आदि: एगो वासो १ दु आविला; अंति: प्रते कल्याणक संख्या. १८६. पे. नाम. चोवीसतीर्थंकर कथन, पृ. ११७आ-१२०आ, संपूर्ण, वि. १९०२, मार्गशीर्ष कृष्ण, ७, ले.स्थल. जयनगर, प्रले. पं. मुक्तिलाभ, प्र.ले.पु. सामान्य. २४ तीर्थंकर नाम, आयुमान, देहमान, वर्ण, राज्यकाल, तपकाल आदि विवरण, मा.गु., गद्य, आदि: श्रीरिषभदेव आदि देई; अंति: राजा वधामणी आपी. १८७. पे. नाम. प्रव्रज्या कुलक, पृ. १२०आ-१२२अ, संपूर्ण. प्रा., पद्य, आदि: संसार विसमसायर भवजल; अंति: तरंति ते भवसलिलरासिं, गाथा-३४. १८८. पे. नाम. साधुप्रतिक्रमणसूत्र, पृ. १२२अ-१२४आ, संपूर्ण. For Private and Personal Use Only

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