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सुलतान महम्मद.]
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३ अंबिका देवी ५ व्याघ्री (शत्रुजय पर ४ आरामकुंड
अनशन करनारी वाघण) पद्मावती देवी ६ मंत्रीश्वर वस्तुपाल तेजपाल
जिनप्रभसूरिए संस्कृतमां अने प्राकृतमां गद्यमां अने पद्यमां छटादार शैलीथी रचेला ग्रं. ३५०३ (६०) श्लोक प्रमाणवाळा आ तीर्थकल्प ग्रंथमां उपर्युक्त तीर्थो अने तीर्थ-भक्तो साथे संबंध धरावती पोताना समय सुधीनी अनेक घटनाओनुं विश्वसनीय वर्णन कयु छे. जेमांथी ते ते देशो, नगरो अने राज्योनी स्थितिनो पण सारो ख्याल थई शके छे, बीजो पण घणो उपयोगी जाणवा लायक इतिहास एमांथी मळी आवे छे. ए सर्व तीर्थोना कल्पो संबंधी विशेष परिचय करावतां आ लेखनिबन्ध एक ग्रन्थरूप बनी जाय; एथी अहिं मात्र प्रासंगिक सूचवीशं. आ तीर्थ-कल्पमां सौथी प्रथम शत्रुजयनो कल्प छे.
तेना अंतमां तेनो रचना-समय वि. सं. राज-प्रसाद १३८५ माघ व.७ शुक्रवार सूचवेल छे; शत्रुजयकल्प ते साथे एक खास विशेषता तेमां सूचवी
छे के-' आ(शत्रुजय-कल्प)नो प्रारंभ करतांज राजाधिराज, संघ पर प्रसन्न थया; आथी आ
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