Book Title: Jinprabhsuri ane Sultan Mahommad
Author(s): Lalchandra Bhagwan Gandhi
Publisher: Jinharisagarsuri Gyanbhandar

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Page 165
________________ १५४ ] जिनप्रभसूरिनी [जिनप्रमसूरि अने जिनप्रभसूरिनी अप्रकट कृतियो. जिनप्रभसूरिए 'पउमाम 'गाथानी अनुयोगचतुष्टयवाळी व्याख्या (अनेकार्थ रत्नमंजूषा दे. ला. नं. ८१ मां प्र.) मां सूचवेल रहस्यकल्पद्रुम तथा जिनप्रभसूरिनी अन्य अप्रकट कृतियो जो उपलब्ध थाय, अने तेनो संग्रह प्रकाशमां मूकाय तो नवीन जाणवानुं बनी शके. जिनदत्तमुरि-चरित्र( अगरचंदजी नाहटाद्वारा प्रकाशित उत्तरार्ध पृ.४३१-४३३ )मां प्रकाशित थयेल व्यवस्थापत्र(सं. साधुसामाचारी) जिनप्रभसरिकृत होवानुं जणाय छे. जिनप्रभसूरिनी पट्ट-परम्परा । जिनप्रभसूरिनो शिष्यादि-परिवार विशाल हशे,तेम तेमनी मळती केटलीक कृतियोथी अने अन्य जिनदेवसूरि केटलाक उल्लेखो(पृ. ५०)थी जणाय छे. ते सौमां जिनदेवसूरि अग्रस्थाने ( पट्टधर ) होवानुं जणाय छे. शाह मुहम्मद तुघलके वि. सं. धम्म-धुर-धवल संघवइ सयल, जाचक जन दिति दानु; संघ-संजुत्त बहुभगति-भरि, नमहिं गुरु गुण-निधानु. ९ सानिधि पउमिणिदेवि इम, जगि जुग जयवंतो; नंदर जिणप्रभसरि गुरु, संजमसिरि-तणत कंतो. १० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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