Book Title: Jinprabhsuri ane Sultan Mahommad
Author(s): Lalchandra Bhagwan Gandhi
Publisher: Jinharisagarsuri Gyanbhandar
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सुलतान महम्मद ]
पट्ट-परम्परा
[ १६३
संतानमां थयेला वा. भारतीचंद्रना शिष्य भानुतिलके लिखित गुणस्थानप्रकरण-टीका चुनीभं. मां उपलब्ध थाय छे.
वि. सं. १६३५मां का. व. ७ गुरुबारे जिनप्रभाचार्यना अन्वयमां थयेला देवतिलक मुमुक्षुए जिनप्रभसूरिनी पर्युषणाकल्प-पंजिका(ग्रं. ३०४१)नी प्रतिने आगरा राजधानीमां लखी हती.
वि. सं. १६४१मां बीजा शुचिमास शु. ६ शुक्रवारे, कमला( पद्मा )देवीना वर-प्रसादपात्र जिनप्रभाचार्यना अन्वयमां थयेला जिनहितमरिना शिष्य आदिदेवमुनिए सिंघानकपुरमां जिनभानुमरिना समयमां लिपीकृत समयसार नाटक वृत्तिनी प्रति बीकानेरमां जयचंद्रजीना भंडारमा विद्यमान छे.
विक्रमनी अढारमी सीमां. वि. सं. १७२६मां फा. शु. १० श्रीमाली खरतरगच्छमां जिनप्रभसूरिना संतानमां थयेला उ. लब्धिरंगना शिष्य पं. नारायणदासनी प्रेरणाथी कवि हेमराजे रचेली सटीक नयचक्रनी वचनिका( भाषा) बीकानेरना दानसागरजीना संग्रहमा उपलब्ध थाय छे.
विशेष अन्वेषण करवामां आवे तो प्रभावक जिनप्रभसरिनी शिष्य-परम्परानो बीजो इतिहास मळया संभव छे, परंतु अति विस्तारना भयथी अहि आटला संशोधनथी संतोष मानीशं.
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