Book Title: Jinprabhsuri ane Sultan Mahommad
Author(s): Lalchandra Bhagwan Gandhi
Publisher: Jinharisagarsuri Gyanbhandar

View full book text
Previous | Next

Page 169
________________ १५८ ] जिनप्रभसूरिनी [ जिनप्रभसूरि अने विक्रमनी सोळमी सदीमां उपर्युक्त जिनमेरुसूरिना पट्ट पर जिनहितसूरि स्थापित थया हता, एम जिनप्रभसूरि सुगुरुनी परंपराना उपलब्ध प्राकृत गाथाकुलकना उल्लेखथी प्रकट थाय छे. * जिनहितसूरि ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह ( अभयजैनग्रन्थमाला पु. ८, पृ. ११) मां जिनप्रभसूरि - गीत तरीके जणावेल आ सुगुरुपरंपरा - गीत योग्य शुद्धि साथे अहिं दर्शाव्युं छे. *xx संजम सरसइ निरुयं ( इं ) सु ( वमु) मुणीण तित्थभर - च (ध) रणं । सुगुरुं गणहर- रयणं वंदे जिणसिंहसूरिमहं 119 11 जिणपहसूरि मुणिंदो पयडियनीसेस तिहुयणाणंदो । संपइ जिणवर सिरिवद्ध माणतित्थं पभावेइ ॥ १० ॥ सिरिजिण पहसूरीणं पट्टमि पइट्ठिओ गुणगरिट्ठो । जयइ जिणदेवसूरी नियपन्ना विजियसुरसूरी ॥ ११ ॥ जिणदेवसूरिपहो (ट्टो)दय गिरिचूडा विभूसणे माणू । जिण मेरुसूरि-सुगुरू जयउ जए सयलविज्जनिही ॥ १२ ॥ 1 जिण हितसूरिमुणिदो तप्पट्टे भविय - कुमुयवण - चंदो । मयण - करि - कुंभ - विहडण - दुद्धरपंचाणगो जयठ ॥ १३ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204