Book Title: Jinabhashita 2003 10
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 21
________________ कंट्री एण्ड कोका कोला' में खुलासा किया है कि कोका कोला में | मांग में कोई कमी नहीं आयी। हजारों करोड़ों का मुनाफा बटोर साइट्रेट कैफीन वेनिला फ्लेवरिंग, एकई कोको, साइट्रिक एसिड | रही ये कंपनियां भारतीयों की सेहत से खिलवाड़ कर रही हैं। नीबू का रस, चीनी और पानी मिला होता है । इसमें थोड़ा एल्कोहल शीतल पेयों की जांच करने वाली सेंटर फार साइस एण्ड भी डाला जाता है। एनवायरमेंट (सी.एस.ई) ने अपनी जांच में 12 प्रचलित शीतल शीतल पेयों के जांच नतीजे में लिंडेन, डी.डी.टी. मैलाथियन | पेय ब्रांड विभिन्न शहरों, वजारों एवं दिल्ली के आस पास मथुरा, और क्लोरपाईरिफास कीटनाशकों के अवशेष मिले। इन कीटनाशकों | गजियाबाद, हापुड, जयपुर के कारखानों से एकत्र नमूने शामिल से स्वास्थ्य को भारी नुकसान है। लिडेन नामक कीटनाशक के [किये और तुलनात्मक गुणवत्ता के लिये अमेरिका से बोतले मंगायी अवशेष हर बांड में मिले हैं। इससे मनुष्य का न केवल नाडीतंत्र | गयी। ध्यान रहे सी एस ई. की प्रयोग शाला को भारत सरकार के क्षतिग्रस्त होता है अपितु शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित | विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय ने जांच के बाद उपयुक्त पाया था। होती है। डी.डी.टी. (प्रतिबंधित) का छिड़काव मच्छर मारने के शीतल पेयों का सी.एस.ई. ने पर्दाफाश किया तो सारे देश लिये किया जाता है जो इन पेय पदार्थों में पाया गया है। में हलचल सी मच गयी। अफरा-तफरी से भरे एक निर्णय में शीतल पेयों के कोलाब्रांड में डाला जाने वाला कैफीन | संसद की कैंटीन से ये शीतल पेय बाहर कर दिये गये। उपभोक्ताओं रसायन अधिक मात्रा में लेने पर अनिद्रा, सिरदर्द आदि पैदा करताहै |ने प्रदर्शन किये, स्कूली बच्चों ने उत्साहित हो शीतल पेयों के आंकड़े बताते हैं कि ये कंपनियाँ अमेरिका, यूरोप में 88 पी.पी.एम. | विरूद्ध रैलियाँ निकाली अनेक स्वंय सेवी संगठनों ने जनचेतना के कैफीन डालती हैं जबकि भारत में 111 पी.पी. एम. तक कैफीन | आवश्यक कदम उठाये। इन शीतल पेयों पर वैद्यानिक कार्यवाही डाली जाती है। करने की मांग की गयी इससे पहिले भी समय-समय पर इनके इन शीतल पेयों में पाये जाने वाले सीसे की मात्रा यदि 0.2 | खिलाफ मामले उठते रहे हैं पर जन समर्थन न मिलने से ये प्रायः पी.पी. एम. से ज्यादा हो तो वह स्नायुतंत्र, मस्तिष्क, गुर्दे, लीवर व | असफल हो जाने विश्व बाजार में उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम उत्पाद मांस पशियों पर घातक असर डालती हैं। पेय पदार्थों की जांच में | का दावा करने वाली ये कंपनियां आज कटघरे में खड़ी हैं। यह मात्रा 0.4 पी. पी. एम तक पायी गयी, जबकि अमेरिका जैसे | कटु सत्य यह भी है कि ये कंपनियाँ हमारे प्राकृतिक देशों में यह मात्रा 0.2 पी.पी. एम से भी कम रखी जाती है। संसाधनों पानी का दोहन कर रही हैं और जहां-जहां कारखाने शीतल पेयों में आसैनिक कैडमियम, एथलीन, लाइकोल्ड लगे हैं वहां प्रदूषण भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। सेहत के साथ जिंक, पोटोशियम सोरबेट, मिथाइल बैंजीन, ब्रेमिनेटेड आयल साथ ये हमारी अर्थव्यवस्था को भी पीती जा रही हैं। आदि रसायन भी पाये गए। वर्तमान में शीतल पेय कंपनियों ने भारतीय नियमों की शीतल पेयों में पानी की मात्रा अधिक होने से इनके | खामियों का पूरा फायदा उठाया, यही कारण है कि इन्हें जगहदण्परिणाम एकदम नजर नहीं आते हैं। लंबे समय तक एवं अधिक जगह क्लीन चिट मिलती जा रही है। विरोधी गुटों द्वारा हंगामा मात्रा में सेवन करना स्लो पायजन लेने के समान है। आमाशय, होने पर एक साझा संसदीय समिति इस पूरे प्रकरण की जांच कर आंतो के घाव, हड़ियों की विकारता, मोटापा, हृदय रोग, गुर्दे की रही है। पथरी, कैफीन का आदी डायविटीज, दांतों की बीमारियाँ, पेट में आवश्यकता है हम स्वयं विवेकवान बनें एवं अपने और जलन, डकार, एसिडिटी चिड़चिड़ापन आदि बीमारियों में कहीं न सरकारी स्तर पर देशी पेय पदार्थों, विभिन्न जूस, शेक, शिकंजी कहीं किसी न किसी रूप में शीतल पेयों की उपस्थिति स्वीकार लस्सी, मट्ठा, ठंडाई आदि को प्रोत्साहित करें। सुखद बात तो की गयी। यह है कि हमारे आचार्यों, साधु संतों, विद्वानों, बुद्धि जीवियों द्वारा यूरोपीय संघ एवं अमेरिका आदि विकसित देशों में इन | समय-समय पर इस तरह के आधुनिक खान-पान के प्रति जन शीतल पेयों पर कड़ी नजर रखी जाती है। पेयों की जो गुणवत्ता | सामान्य को सचेत किया जाता रहा है। अतः स्वयं को परिवार एवं मानक नियमों की व्यवस्था इन देशों में है वैसी व्यवस्था हमारे को, समाज एवं देश को स्वस्थ रखने के लिये इन हानिकारक पेयों देश में नहीं है यही कारण है कि भारत में ये कपनियाँ विज्ञापनों ] से और कुछ भी पी लेने से बचें। पर तो करोड़ों रूपये खर्च कर देती हैं पर अपने पेयों की गुणवत्ता शिक्षक आवास 6, कुन्दकुन्द महाविद्यालय परिसर पर नहीं। इतने नुकसान देय होने के बावजूद इन शीतल पेयों की खतौली-251201 (उ.प्र.) -अक्टूबर 2003 जिनभाषित 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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