Book Title: Jinabhashita 2001 11
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ खुलकर प्रेम करने की छूट पिछले कुछ वर्षों से कुछ अखबारों और सेटेलाइट टी.वी. चैनलों की कृपा से पाश्चात्य सभ्यता पर मुग्ध हमारी नई पीढ़ी ने अपनाना / मनाना शुरू किया है एक नया त्यौहार यह नया त्यौहार है 'वेलेंटाइन डे'। जिन्हें 'वेलेंटाइन डे' का मतलब तथा उसका इतिहास भी नहीं मालूम, वे भी उसके रंग में डूब जाते हैं। 'वेलेंटाइन डे' को समर्पित एक 'रविवार्ता' में इस दिवस पर विशेष सामग्री छापी गई और बताया गया कि 'वेलेंटाइन डे' का मतलब है- 'कहो न प्यार है।' और यह भी कि यद्यपि प्रेम-प्रदर्शन में लड़के ही पहल करते हैं लेकिन नियमानुसार 'लीप ईयर' में लड़कियों को भी पहल करने की छूट थी और कौन भूलना चाहेगा कि सन् 2000 भी तो लीप ईयर था। एक ओर हर समझदार माता-पिता या, अभिभावक पढ़ने-लिखने की उम्र में अपने बच्चों को इस 'प्रेम रोग' से बचाने की एहतियात बरतते हैं, दूसरी ओर भाषायी अखबार, सब नहीं केवल कुछ, किशोरकिशोरियों और युवक-युवतियों को उकसा रहे हैं- 'लीप ईयर है खुलकर इजहार करो।' पहला प्यार कितना खतरनाक होता है, यह छिपा नहीं है। प्याली में आये तूफान की तरह वह होता तो क्षणिक है, लेकिन क्षणमात्र में ही वह कभी-कभी पूरी जिंदगी विषैली कर जाता है। यह प्यार कोई सात्त्विक नहीं होता, वह वासना प्रेरित होता है जो इस उम्र में सहज और स्वाभाविक भी है, लेकिन हर स्वाभाविक बात उचित और अच्छी भी होती है, इसे शायद ही कोई स्वीकार करे। 'वेलेंटाइन डे' एक पश्चिमी सभ्यता का त्यौहार है। हर सभ्यता का अपना इतिहास, एक संस्कृति होती है जो एक समुदाय विशेष की मानसिकता की रचना करती है। अमेरिका में किशोर-किशोरियों की 'डेटिंग' एक आम स्वीकार्य परम्परा है, रिवाज है। कोई उसे बुरा नहीं मानता। इस डेटिंग के चलते कौमार्यभंग Jain Education International पर भी वहाँ विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। नार्वे और स्वीडन में 'सैक्स शॉप' आम है। वहाँ कुमारी लड़कियों के माँ बनने को सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है। लेकिन वर्षों से चली आ रही इस मानसिकता के घातक परिणाम अब नजर आने लगे हैं और सरकार तथा समाज के कर्णधार चिंतित हैं। अमेरिका में परिवार संस्था टूट गई है। विवाह संस्था में भी दरारें पड़ रही हैं। फलतः सामाजिक जीवन तनावों से भर गया है। तमाम भौतिक सम्पन्नता के बावजूद अमरीकियों का निजी जीवन पीड़ा और व्यथा से भरा हुआ है। विकसित होते, विकासमान देश बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आर्थिक साम्राज्यवाद के सहज शिकार होते हैं। 'वेलेंटाइन डे' जैसे त्यौहार 'ब्यूटी कांटेस्ट' जैसे आयोजन उनके उत्पादों की खपत बढ़ाते हैं, दूसरे अर्थों में उनका लाभ दुगना-तिगुना हो जाता है। अकेले वेलेंटाइन-डे पर कहा गया है करोड़ों के कार्ड बिके हैं। भारत जैसे देश में जहाँ कुपोषण, कुस्वास्थ्य, स्वच्छ पेयजल, साफ-सुधरे आवास की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, वहाँ युवा पीढ़ी की सृजनात्मक शक्ति को सही दिशा की ओर न मोड़, इस तरह के आयोजनों में मोड़ना कहाँ तक उचित है, यह विचारणीय है। आधुनिकता की उमंग में कहीं हम किसी सुनियोजित षडयंत्र के शिकार तो नहीं बनाये जा रहे हैं? भारत के लिए कुछ वर्षों तक एड्स दूर की चीज थी, अब भारत में एड्स के रोगियों की संख्या चिंताजनक होती जा रही है। धार्मिक आयोजनों में लाखों रुपया फूँक देने वाले लोगों और उनके धर्माचार्यों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। अभी भी समय है। सम्पादक 'आपकी समस्या हमारा समाधान' (हिन्दी मासिक), 239, दरीबा कलाँ, दिल्ली-110006 For Private & Personal Use Only डॉ. अशोक सहजानन्द अखिल भारतीय जैन प्रतिभा प्रोत्साहन योजना सराकोद्धारक परम पूज्य उपाध्याय 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज की प्रेरणा से प्रतिभावान जैन छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रतिभा प्रोत्साहन योजना' 2001 अपने द्वितीय वर्ष में प्रगति पर है। भारत के समस्त माध्यमिक शिक्षा बोर्डों की सैकण्डरी / सीनियर सैकण्डरी परीक्षा 2001 में वरीयता सूची (मैरिट लिस्ट) में स्थान प्राप्त अथवा परीक्षा में 190 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले, जैसी बोर्ड की व्यवस्था है। छात्र-छात्राओं को दिसम्बर के अंत में पदक, पुरस्कार, सम्मान द्वारा प्रोत्साहित किया जायेगा। प्रोत्साहन सम्मान का यह समारोह दिसम्बर 2001 के अन्त में परम पूज्य उपाध्याय श्री के मंगल सान्निध्य में आयोजित किया जायेगा। स्थान और तिथि की सूचना शीघ्र प्रकाशित की जायेगी तथा चयनित छात्रों को सूचना डाक से भेज दी जायेगी। चयनित छात्र एवं उसके एक अभिभावक को समारोह में सम्मिलित होने के लिये द्वितीय श्रेणी स्लीपर (आरक्षित) रेल/ बस का दोनों ओर का वास्तविक व्यय, साठ रुपये वाहन व्यय के साथ समिति के द्वारा प्रदान किया जायेगा। छात्रों को योजना के निर्धारित आवेदन पत्र भरकर तथा अपने शाला प्रधान से अग्रेषित कराकर अंक सूची की प्रमाणित फोटो प्रति के साथ आयोजन सचिव को भेजने होते हैं। अनेक स्थानों से आवेदन पत्र प्राप्त हो चुके हैं फिर भी कोई जैन छात्र यदि आवेदन करना चाहे तो निम्नांकित पते पर पत्र लिखकर आवेदन पत्र मँगा लें और शीघ्र भरकर भेजे। कैलाश गदिया (जैन), आयोजन सचिव, अखिल भारतीय जैन प्रतिभा प्रोत्साहन योजना 38 पार्श्वनाथ कॉलोनी, आतेड, वैशाली नगर, अजमेर (राज.) फोन : : (आ.) 0145-425003 'नवम्बर 2001 जिनभाषित 19 www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36