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आठ दिवसीय सर्वोदय शिक्षण
छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
से विकास के उच्चतम सोपानों पर आगे बढ़ते रहेंगे। सम्मानक: डॉ. सुनीता जैन ने छात्रों को और आगे बढ़ने तथा अंत में बधाई देना चाहूँगी शिवपुरी जैन समाज को, जिसके और ऊँचा उठने के लिए अपने जीवन की जीवन्त घटनाओं के माध्यम अपरिमित, हार्दिक, आत्मीय स्नेह एवं सतत, उत्कृष्टतम सहयोग से मार्मिक एवं प्रभावी ढंग से प्रेरित किया।
से यह प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन भारी सफलता के साथ सम्पन्न हो सका जैन युवा प्रतिभा सम्मान समारोह के निमित्त सम्पूर्ण राष्ट्र से | और राष्ट्रीय एवं ऐतिहासिक स्वरूप ग्रहण कर सका। एकत्रित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए पूज्य क्षमासागर जी
30, निशातकालोनी, ने अपनी मंगल भावना व्यक्त करते हुए बताया कि इन अत्यंत
भोपाल-462003 म.प्र. आत्मीय, सुखद और दुर्लभ क्षणों में यदि धर्म, दर्शन, अध्यात्म और विज्ञान की स्पष्ट छबि हमारे भीतर आकार ले सके और हम अपने जीवन को अच्छा बनाने के लिये सही निर्देश ले सकें तो यह इस
शिविर सम्पन्न समारोह की श्रेष्ठतम उपलब्धि होगी। दया, करुणा और प्रेम हमारा धर्म है। सत्य की साधना और जीवन का सम्मान हमारा दर्शन है।
शिवपुरी म.प्र.। परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आत्म-संतोष, आत्म-निर्भरता और साम्य-भाव हमारी आध्यात्मिक
| के आशीर्वाद एवं मुनि श्री क्षमासागर जी, मुनि श्री भव्यसागर जी चेतना का मधुर स्वर है। विवेक और सदाचरण से समन्वित ज्ञान
की प्रेरणा व सान्निध्य में 11 अक्टूबर को शिविर का उद्घाटन शिविर ही हमारा विज्ञान है।
कुलपति श्रावक श्रेष्ठी श्री निरंजन लाल जी बैनाड़ा, आगरा एवं यह सच है कि आज वातावरण में अनेक विकृतियाँ और
'जिनभाषित' पत्रिका के संपादक पंडित श्री रतनचंद्र जी, भोपाल ने विषमताएँ हैं। इसके बावजूद भी हमारा कर्तव्य है कि हम अच्छा सोचें
दीप प्रज्वलन कर महावीर जिनालय में किया। बालबोध पूर्वार्द्ध में और अच्छा करें। भौतिकता की चकाचौंध में रहकर भी हम अपनी 250, बालबोध उत्तरार्द्ध में 350, रत्नकरण्ड श्रावकाचार में 40, असलियत पहचानें। बढ़ती हुई भोगवादी विचार-धारा के बीच हम
छहढाला में 60, द्रव्य संग्रह में 50 तथा तत्त्वार्थ सूत्र में 70 निस्वार्थ सेवा और त्याग की भावना बनाए रखें। संयुक्त परिवारों
शिविरार्थियों ने भाग लिया। द्रव्य संग्रह एवं रत्नकरण्ड श्रावकाचार के विघटन और टूटते रिश्तों के बीच हम परस्पर आत्मीयता और की कक्षाएँ कुलपति श्री बैनाड़ा जी ने, तत्त्वार्थ सूत्र एवं छहढाला ब्र. संबंधों की मधुरता कायम रखें। खान-पान और रहन-सहन में निरन्तर
बहिन ऊषा देवी भरतपुर, बालबोध उत्तरार्द्ध ब्र. भैया संजीव जी बढ़ते आडम्बर के बीच सादगी और शालीनता को बढ़ावा दें।
कटंगी एवं मोती भैया कुम्हेर ने बालबोध पूर्वार्द्ध, ब्र. बहिन मैना गुरुजनों और आत्मीय जनों के प्रति निरंतर बढ़ते अनादर-भाव
दीदी शिवपुरी, ब्र. विजय भैया लखनादौन, ब्र, भैया जितेन्द्र शाजापुर के बावजूद भी हम उनके प्रति अपनी श्रद्धा और विनय को बनाए
एवं ब्र, भैया मौसम जी खुरई ने कक्षाएँ ली। 11 अक्टूबर से 17 रखें। निरंतर बढ़ती राजनैतिक बुराइयों और विदेशी मुद्रा के प्रति लोभ
अक्टूबर तक तीनों समय कक्षाएँ ली गई जिसमें लगभग 800 लालच के कारण पनपने वाले हिंसक उद्योग-धंधों के बीच हम एक
विद्यार्थियों ने भाग लिया और 750 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। इसमें अच्छे अहिंसक नागरिक बनने का प्रयास करें। निरंतर बढ़ती हुई हिंसा, |
नागरिक बनने का प्रयास करें। निरंतर बढती हुई हिंसा | 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्तकर्ताओं को विशेष पुरस्कार, 60 झूठ, चोरी, अश्लीलता और अंडा-मांस शराब सेवन जैसी बुरी
प्रतिशत से अधिक प्राप्तकर्ताओं को पुरस्कार एवं 60 प्रतिशत से आदतों का उन्मूलन कर हम स्वयं को नैतिक और चारित्रिक रूप से |
कम अंक पाने वालों को भी प्रमाण पत्र के साथ पुरस्कार जैन समाज सुदृढ़ बनाएँ।
एवं वर्षा योग समिति, शिवपुरी की ओर से दिया गया। धार्मिक आयोजनों, धर्मस्थलों और धर्मगुरूओं में निरन्तर बढ़ते
सर्वोदय शिक्षण शिविर के प्रारम्भ में 11 अक्टूबर से पंडित आडम्बर और दिखावे के बीच हम धर्म की तर्कसंगत, वैज्ञानिक और
श्री रतनचंद्र जी, भोपाल के प्रवचनों का लाभ तीन दिन एवं अंतिम सही समझ विकसित करें और आत्मशांति पाने की विनम्र कोशिश | तीन दिन जैन गजट के प्रधान संपादक, महासभा के शीर्षस्थ विद्वान करें। इस तरह अपनी गुणवत्ता के द्वारा अपने यौवन का शृंगार करें
| शास्त्री परिषद के अध्यक्ष, ओजस्वी वक्ता प्राचार्य श्री नरेन्द्र प्रकाश और आनेवाली पीढ़ी को श्रद्धा-प्रेम और सदाचरण का मानवीय-संदेश
जी, फिरोजाबाद के प्रवचनों का लाभ मिला। प्रतिदिन शिविरार्थियों दें। हमें विश्वास है कि इस समारोह के प्रतिभाशाली सहभागी और | के लिये मुनिद्वय क्षमासागर जी एवं भव्यसागर जी का उद्बोधन, इस विनम्र प्रस्तुति के पाठक मुनि श्री क्षमासागर जी की भावनाओं | आशीर्वाद दोनों समय मिलता रहा। को साकार करेंगे और मैत्री का सुखद संदेश सबको देते रहेंगे।
शिविर समापन पर सम्मान के समय ब्र. बहिन मैना दीदी, . पूज्य क्षमासागर जी ने इस अवसर पर युवा प्रतिभाशाली छात्रों | शिवपुरी ने कहा कि मेरी 12 वर्ष की तपस्या आज सफल हो गई, के व्यक्तित्व में श्रेष्ठ आचार-विचार एवं गुरुजनों के प्रति श्रद्धा का |
मेरे साथ की अधिकांश ब्र, बहिनें, भैया कहते हैं कि हमारे नगर में छोटा सा पौधा रोपित किया है। उनमें परस्पर-आत्मीयता और | अमुक महाराज, माताजी का वर्षायोग चल रहा है तब मुझे लगता निस्वार्थ-सेवा की भावना विकसित करने का पावन प्रयास किया है।
| था कि हमारे यहाँ पता नहीं, कब किसका वर्षायोग होगा। आज बड़ी उनमें अच्छा सोचने, अच्छा करने और सादगी से रहने की प्रवृत्ति
ही प्रसन्नता है कि परमपूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी के शिष्य विकसित करने की विनम्र कोशिश की है। मुझे विश्वास है कि मुनि | मुनिश्री क्षमासागर जी का वर्षायोग हमारे नगर में हो रहा है। मैं यही श्री क्षमासागर जी के व्यक्तित्व रूपी प्रकाश स्तम्भ की किरणों से | भावना करती हूँ कि आप सभी लोग मुनिद्वय की वैयावृत्ति एवं श्रद्धा इन छात्रों का मंगलपथ सदैव आलोकित होता रहेगा और वे सरलता | से सम्मान करे, यही मेरा सम्मान है। वर्षायोग समिति द्वारा शिविर 30 नवम्बर 2001 जिनभाषित
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