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'सुदर्शनोदय' क्षेत्र से पदयात्रा संघ
के समापन पर विद्वान अतिथि, ब्र. भैया, ब्र. बहिनों का वस्त्र एवं | एकरूपता में निहित है एवं उनको गुरु के रूप में प्राप्त करना सर्वाधिक शास्त्र भेंट कर सम्मान किया गया।
| बड़ा पुण्य है। क्षुल्लक श्री मोतीसागर जी ने पूज्य माताजी के वैराग्य सुरेश जैन मारौरा, शिवपुरी | एवं धर्म दृढता का सभी को परिचय प्रदान किया। विविध वक्ताओं
ने पूज्य माताजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का वर्णन करते हुए उनको आज के युग की इतिहास निर्मात्री एवं बहुमूल्य वरदान बताया।
सभाध्यक्ष के रूप में साहू श्री रमेशचन्दजी जैन एवं विशिष्ट श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र "सुदर्शनोदय" क्षेत्र
अतिथियों के रूप में श्री राजकुमार जैन (अध्यक्ष-श्वेताम्बर जैन मूर्ति आँवा (टोंक) से 21 सदस्यीय पदयात्रा संघ ने आँवा से औद्योगिक
पूजक समाज), डॉ. एम.पी. जैन, श्री सलेकचन्द जैन कागजी, श्री नगरी कोटा में विराजमान परमपूज्य मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज
पुनीत जैन (न.भा.टा.), श्री स्वराज जैन इत्यादि महानुभाव उपस्थित एवं संघ के दर्शनार्थ दिनांक 5.8.2001 को प्रातः 7 बजे प्रस्थान
थे। कर्मयोगी ब्र. श्री रवीन्द्र कुमार जैन ने सभा का सफल संचालन किया। क्षेत्र कमेटी के प्रचार मंत्री अशोक धानोत्या ने बताया कि
किया। पदयात्रा संघ गोठड़ा, धोवड़ा, आलोद, बॅन्दी, तालेडा होते हुए श्री
ब्र. कु. स्वाति जैन (संघस्थ) मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र केशवराय पाटन होते हुए दिनांक 8.8.2001 को सायं 7 बजे औद्योगिक नगरी कोटा में डॉ. भागचन्द्र जैन 'भागेन्दु' अखिल भारतीय नयापुरा स्थित श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पहुंचा। वहाँ पर स्थानीय कमेटी ने सभी पदयात्रियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
सर्वश्रेष्ठ साहित्य पुरस्कार से सम्मानित दिनांक 9.8.2001 को पदयात्रा संघ नयापुरा कोटा से 6 किलोमीटर दमोह। 4 नवम्बर 2001 को दिल्ली के चिन्मयानन्द चलकर प्रातः 7 बजे सी.ए.डी. चौराहा दादाबाड़ी कोटा पहुँचा, वहाँ आडीटोरियम में अन्तरराष्ट्रीय संस्था "अहिंसा इंटरनेशनल'' द्वारा वर्ष पर चातुर्मास कमेटी के सदस्यों ने सभी पदयात्रियों का माल्यार्पण 2000-2001 के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार पुरस्कार से दमोह के प्रख्यात कर स्वागत किया और बैण्डबाजों के साथ जय-जयकार बोलते हुए | मनीषी डॉ. भागचन्द्र जैन “भागेन्दु" को एक भव्य समारोह में पदयात्रा संघ ने परमपूज्य मुनिपुंगव सुधासागरजी महाराज एवं संघ | सम्मानित किया गया। के दर्शन किये। सभी पदयात्रियों को महाराजश्री ने आशिर्वाद दिया उन्हें इस पुरस्कार स्वरूप रुपये 31,000/- की राशि, शाल, तथा चातुर्मास कमेटी द्वारा सभी पदयात्रियों को एक-एक चित्र मुनिश्री
श्रीफल, अंगवस्त्र, प्रतीकचिह्न एवं प्रशस्ति से सम्मानित किया गया का एवं एक-एक पुस्तक “नग्नता क्यों और कैसे" भेंट की। है। समारोह के मुख्य अतिथि दिल्ली उच्च न्यायालय के माननीय अशोक जैन | न्यायाधीश श्री आर.सी. जैन ने समारोह को सम्बोधित किया।
वीरेन्द्र कुमार इटोरिया पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का
अध्यक्ष, जैन पंचायत, दमोह जन्म दिवस एवं स्वर्ण संयमदिवस सानन्द सम्पन्न
पं. शिवचरणलाल जी जैन मैनपुरी गणिनी जैन समाज की साध्वी पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी का 68वाँ जन्म दिवस एवं 50वाँ (स्वर्ण) संयमदिवस हर्षोल्लास
__ आर्यिका ज्ञानमती पुरस्कार से सम्मानित पूर्वक शरदपूर्णिमा - 1 नवम्बर को जैन हैप्पी स्कूल, निकट शिवाजी
. नई दिल्ली। दिनांक 25.10.2001 की ऐतिहासिक अविस्मस्टेडियम, कनॉट प्लेस, दिल्ली में भारी जनसमूह के बीच सम्पन्न
रणीय बैठक में तथा पू. 105 गणिनी प्रमुख आर्यिका रत्न ज्ञानमति हुआ। ज्ञातव्य है कि सन् 1934 में पूज्य माताजी का जन्म टिकैत
माताजी के पावन ससंघ सान्निध्य में समारोहपूर्वक वर्ष 2000 का नगर (बाराबंकी) में श्रेष्ठी छोटेलालजी की धर्मपत्नी मोहिनी जी की
"आर्यिका रत्न ज्ञानमती माताजी पुरस्कार" देश के मूर्धन्य विद्वान पवित्र कुक्षी से शरदपूर्णिमा को हुआ था एवं 18 वर्ष की अल्प आयु सरस्वतीपुत्र पं. शिवचरणलालजी जैन मैनपुरी, यशस्वी अध्यक्ष में पूज्य माताजी ने शरदपूर्णिमा के दिन ही आजन्म ब्रहाचर्य व्रत एवं
विद्वत् महासंघ को प्रदान किया गया। इस पुरस्कार में एक लाख रुपये गृहत्याग का नियम लेकर व्रतिक जीवन का प्रारंभ किया था।
की नगद राशि, शाल, श्रीफल, प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया। पं. इस अवसर पर पूज्य माताजी ने कहा कि लोक प्रभावना के
शिवचरणलालजी जैनागम की आर्य परंपरा के सफलतम प्रवचनकार लिए नहीं, वरन् आत्मा में जो असीम आनन्द भरा हुआ है उसे प्राप्त
तथा माँ जिनवाणी एवं देवशास्त्र गुरु के परमभक्त हैं। करने के लिये ही दीक्षा ली जाती है, अत: आप सबको भी आज
आप "अखिल भारत वर्षीय शास्त्रिपरिषद" के वरिष्ठ कोई ना कोई संयम अवश्य ग्रहण करना चाहिए। पूज्य माताजी ने कोषाध्यक्ष तथा तीर्थंकर ऋषभदेव विद्वत महासंघ के यशस्वी अध्यक्ष महिलाओं को बालिकाभ्रूण की हत्या न करने का संकल्प लेने की प्रेरणा | हैं। इसके पूर्व आप फिरोजाबाद में "श्रुतसंवर्धन पुरस्कार" से भी भी प्रदान की। प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चन्दनामती माताजी ने इस
सम्मानित हो चुके हैं। अवसर पर पूज्य माताजी के प्रति अपनी विनयांजलि में कहा कि पूज्य
पं. खेमचंद्र जैन शास्त्री माताजी के व्यक्तित्व की महानता उनकी कथनी एवं करनी की
रायल हास्पिटल गढ़ारोड
जबलपुर (म.प्र.) - नवम्बर 2001 जिनभाषित 31
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