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व्यंग्य
कवियों की बस्ती में
शिखरचन्द्र जैन
आदमी के जीवन में एक समय ऐसा | पहुँचते तक एक सौ आठ बार तो हो ही जाता | साइकिल चलाते थे फिर जीप कुदाने लगे। अवश्य ही आता है जब उसके मन में कविता | था। निश्चित ही, यह उसी जाप का प्रताप है | बाद में भिलाई स्टील प्लान्ट में नौकरी करने लिखने की हूक उठती है। यह अवस्था बहुधा, जो मैं आज सर्वांग रूप से विद्यमान रहते हुए | लगे। इकबाल भाई को अपने धर्म-निरपेक्ष किशोर से युवा होने के संक्रमण काल में होती यह लेख लिखने की अवस्था में हूँ। नाम से बड़ा लगाव था। उन्हें इकबाल सिंह, है। इन दिनों हर आदमी कविता की दो-चार जिन विद्युत-अभियंताओं को किसी इकबाल नाथ या इकबाल मियाँ कुछ भी कहा पंक्तियाँ तो लिख ही डालता है। बाज लोग उद्योग में मेन्टेनेस इंजीनियर के रूप में कार्य जा सकता था। वैसे यह उनका असली नाम दस-बीस तक लिख लेते हैं। जबकि कुछ ऐसे करने का दुर्योग प्राप्त हुआ है, वे यह अच्छी नहीं था। यह तो उन्होंने अपने शायरी के शौक भी होते हैं जो आरम्भ से ही महाकाव्य लिखने तरह जानते हैं कि जब तक आप सामान्य के कारण रख छोड़ा था। इकबाल भाई शायरी बैठ जाते हैं। ज्यादातर लोगों में यह बीमारी कार्यावधि में अपने कार्यस्थल पर उपस्थित | भी करते थे, इसकी जानकारी मुझे बड़ी ही अल्प-कालीन होती है। पर कुछ थोड़े से लोग रहते हैं तब तक प्रायः हर मशीन ठीक से | विषम परिस्थिति में मिली। इस बीमारी से लम्बे समय तक ग्रसित रहते चलती है। पर ज्यों ही ड्यूटी खत्म होने पर | हुआ यों कि मैं सदा की तरह एक हैं। ऐसे लोग कवि कहलाते हैं अथवा कहलाने आप वापिस घर लौटते हैं, मशीनों में | ब्रेकडाउन अटेण्ड करने जा रहा था। इकबाल हेतु प्रयत्नशील रहते हैं।
ब्रेकडाउन होना प्रारंभ हो जाते हैं। घर का भाई जीप चला रहे थे। मैं सामने की सीट पर इसके आगे जो बात मैं कहने जा रहा टेलीफोन बजने लगता है। पूछताछ शुरू हो उनके बाजू में बैठा था। रात को चली थी। हूँ उसका उद्भव पिछली सदी के सातवें जाती है। सवाल-जवाब चालू हो जाते हैं। प्रति | बिजली बंद होने के कारण चारों ओर अँधेरा दशक के मध्य में हुआ था। उस समय मैं पल होती उत्पादन-क्षति की याद दिलाई था। जिस समय जीप, पहाड़ के सबसे कठिन भिलाई स्टील प्लान्ट की राजहरा लौह अयस्क जाती हैं। मशीनों को तत्काल ठीक करवाने चढ़ाव पर थी, इकबाल भाई ने सहसा जीप खदान में बिजली-इंजीनियर के पद पर नया- की हिदायत दी जाती है। घर के वातावरण रोक दी। उनका दायाँ पाँव आधा ब्रेक पर और नया पदस्थ हुआ था। तब राजहरा पहाड़ में तनाव तैरने लगता है। बच्चे अंदर के कमरे | आधा एक्सीलेटर पर, ताकि इंजिन बंद न हो लगभग अपने मूल रूप में था और वहाँ से में चले जाते हैं। आराम से एक कप चाय पीना | पाए। बाँया पाँव क्लच दबाए हुए, हाथ लौह अयस्क का उत्खनन प्रारंभ करने हेतु भी दुश्वार हो जाता है। ऐसे में सिवा इसके | स्टीयरिंग पर और गर्दन मेरी ओर।। पहाड़ के शीर्ष को समतल कर वहाँ बिजली कि घर का मोह त्याग कर पुनः वापिस | क्या हुआ?' मैंने पूछा- 'जीप क्यों से चलने वाली भारी मशीनें स्थापित की गई । कार्यस्थल पर चल दिया जाये, अन्य कोई | रोक दी?' थीं। साथ ही बिजली की हाईटेन्शन-ओवरहेड विकल्प नहीं रह जाता। मेरे साथ ऐसा होना । 'एक मिसरा बन पड़ा है जैन साब। लाइन भी वहाँ तक ले जायी गयी थी। बहुत आम था। इसलिए टेलीफोन करते ही | जरा गौर फरमाएँ।' कर्मचारियों को पहाड़ के ऊपर बने कार्यस्थल गैरेज से फौरन ही जीप घर भेज दी जाती थी | मैं हतप्रभ हो गया। ऐसी स्थिति में भी तक ले जाने के लिये पर्वत के स्वाभाविक जिसे ज्यादातर इकबाल भाई वाहन-चालक | किसी को शायरी सूझ सकती है, यह मेरी ढाल में मामूली काट-छाँट कर एक अस्थायी लेकर आया करते थे।
कल्पना के बाहर की बात थी। मैंने बात को मार्ग निर्मित किया गया था जो कि इतना यहाँ से आगे बढ़ने के पूर्व, इकबाल | सम्हालते हुए कहा- 'पहले पहाड़ के ऊपर ऊबड़-खाबड़, इतनी खड़ी चढ़ाई वाला हुआ | भाई का थोड़ा परिचय दे देना समीचीन होगा। | | पहुँच लें फिर सुन लेता हूँ। ऐसे में तो समझ करता था कि केवल फोर-व्हील-ड्राइव वाहन कहते हैं कि इकबाल भाई किशोरावस्था में | में भी नहीं आएगा।' ही कर्मचारियों को लेकर इस पथ पर चढ़ते ही किसी क्रांतिकारी संगठन से जुड़कर । 'कैसी बात करते हैं साब?' उन्होंने हुए सफलता पूर्वक गंतव्य तक पहुँचने की स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे और किसी | कहा - 'आपको समझ नहीं आएगा? भला क्षमता रखते थे। उन दिनों पहाड़ के नीचे से कांड में गिरफ्तार कर लिए जाने पर जेल भेज | ये कैसे हो सकता है? आप तो स्वयं कवि ऊपर तक की दैनिक यात्रा अत्यंत ही दिए गए थे। स्वतंत्रता के बाद, चूँकि तुरंत | हैं।' रोमांचकारी हुआ करती थी। इस यात्रा के यह निर्विवाद रूप से सिद्ध नहीं हो पाया कि । मेरे लिए यह अप्रत्याशित था। मेरे दौरान हर कर्मचारी अपने इष्ट देव को निरंतर उनके जेल जाने का कारण स्वतंत्रता संग्राम | कवि होने की बात बहुत कम लोग जानते थे। याद करते चलता था। वाहन के भीतर इस से ही संबंधित था, वह रिहा तो कर दिए गए | | दरअसल बात यह थी कि जब चीन से भारत अवधि में बड़ा ही धार्मिक वातावरण बन पर अन्य कोई सुविधा प्राप्त नहीं कर पाये। | का युद्ध हुआ था तब मैंने वीर रस की एक जाता था। मैं भी जीप में बैठते ही णमोकार इस कारण उन्हें एक सर्कस में नौकरी करनी | कविता लिखी थी जो संयोग से उस समय मंत्र का जाप प्रारंभ कर देता था जो कि ऊपर | पड़ी, जहाँ पहले वो मौत के कुएँ में मोटर | आकाशवाणी से प्रसारित भी हुई थी। बाद में 22 नवम्बर 2001 जिनभाषित
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