Book Title: Jina Siddhant
Author(s): Mulshankar Desai
Publisher: Mulshankar Desai

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ मेरी आशा है, जनता इससे विशेष लाम उठावेगी। इस शास्त्र की रचना करने में प्रधान प्रेरणा गया समाज की ही है। इतना ही नहीं बल्कि शास्त्र प्रकाशन के लिये अन्दाज़ एक हजार रुपये की सहायता गया समाज से भी मिली है, जो धन्यवाद के पात्र है । ज्ञान दान में यदि समाज का लन्य हो जावे, तो समाज का महान उद्धार के साथ ही साथ अन्य जीवों को भी विशेष लाभ हो सकता है। ब्रह्मचारी मूलशंकर देशाई

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 203