Book Title: Jainendra Mahavrutti
Author(s): Devnandi Maharaj, Abhaynandi Maharaj, Shambhunath Tripathi, Mahadev Chaturvedi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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जैनेन्द्र-संज्ञासूची
निष्ठा
थः
पद
जैनेन्द्रसंज्ञा पाणिनिसंज्ञा । जेनेन्द्रसंज्ञा पाणिनिसंज्ञा । जैनेन्द्रसंज्ञा पाणिनिसंज्ञा अधिकरणः अधिकरणम् । करणम् [१।२।११४] करणम् । तः शिशरा [१।२।११६]
कर्ता [१।२।१२४] कर्त्ता ता [१।२।१५८] षष्ठी अनुदात्तः अनुदात्तः कर्म [१।२।१२०] कर्म | ति [१।२।१३१]
गतिः [११११११३]
का [१।२।१५८] पञ्चमी | त्यः [२।१।१] प्रत्ययः अन्यः [१।२।१५२] प्रथमपुरुषः किः [१।४।५६] सम्बुद्धिः अप [शरा१५८ चतुर्थी
ख
थः [४।३।३] अभ्यस्तम् अपादानम्
अपादानम [१।२।११०]
खम् [१।१।६१] लोपः
संज्ञा अस्मद् [१।२।१५२] उत्तमपुरुषः खुः [१।१।२६]
दः [१।२११५१] श्रात्मनेपदम् दिः [१।१।२०]
प्रगृह्यम्
दोः [१११।११] दीर्घः इत् [१।२।३] इत गि [१।२।१३०] उपसर्गः
दुः [२१४६८] वृद्धम् इप् [१।२।१५८] द्वितीया गुः [१।२।१०२] अङ्गम्
घ [१।३।१०५] उत्तरपदम् इल [१।१।३४]
द्रिः [४।२।६] तद्राजः | घि [१।२।९९] लवु |
द्वन्द्वः [१।२।६२] द्वन्द्वः ईप् [१।२।१५८]
। द्विः [११२।१५५] द्विवचनम्
ङः [१।१।४] अनुनासिकः उङ [१।१।६६]
| धम् [१।१।३१] सर्वनामस्थानम् उपधा ङिः [१।११३०] भावकर्म
धिः [१।२।२] अकर्मकः उज् [१।१।६२] उदात्तः [१।१।१३]
घुः [१।२।१] धातुः उदात्तः चः [४।३।६] उदात्त:
अभ्यासः | उप् [१।१।६२] उस् [१।११६२]
नप् [नपुंसकलिङ्गस्य संज्ञा प्राचाम्] | जिः [१।१।४५] सम्प्रसारणम्
निः [ २२] निपातः
न्यक् [१।३।६२] उपसर्जनम् एकः [१।१।१५५] एकवचनम् एप् [१।१।१६] गुणः : झिः [१।१।७४] श्रव्ययम्
पः [१।१।११] पदम् [१।२।१०३]
पदम् ऐप [१॥ ॥१५] वृद्धिः टिः [१।१६५] टिः | प्रः [१।१।११]
सतमी
लुप
हस्वः
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