Book Title: Jainendra Mahavrutti
Author(s): Devnandi Maharaj, Abhaynandi Maharaj, Shambhunath Tripathi, Mahadev Chaturvedi
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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चर
दिव
ष्ठिवु
जीव
पीव
मीव
णीव
तीव
तुर्वी
थुर्वी
धुर्वी
जुर्वी
भर्वी
शर्व
श्रव
गुत्र
हिवि
दिवि
धिवि
कृवि
श्रव
मक्ष
अक्ष
तक्ष
त्वत्
रक्ष शिक्ष
वृक्ष
स्तृक्ष
राक्ष
शव
रहि
पिसृ
पेसृ
भक्षणे
निरसने
प्राणधारणे
स्थौल्ये
हिंसने
संघाते व्याप्तौ च
} तनूकरणे
उद्यमने
प्रीणने
झष
हिंसा विकरणयोः
मष
गतिप्रीतितृष्टिदीप्तिवृ वर्ष द्विकांत्यवस्यवगमन प्रवेशश्रवणस्वाम्यर्थ- रुप याचनक्रियेच्छालिंग - नहिंसादनभावरक्षणेषु
रिष
पालने
चुम्बने
गतौ
जैनेन्द्र-व्याकरणम्
रोपे
त्वचने
अनादरे
वक्ष
तक्ष
सूक्ष
काक्षि
वाक्षि
माक्षि
द्राक्षि
ध्वाक्षि
चूष
तूष
लूप
मूघ
शूष
भूष
ऊष
शिष
धष
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जू
शष
शसु
यूप
भृषु
भष
जिपु
विषु
मिषु
पृधु
बृधु
उक्ष
कांक्षायाम्
घोरवासितेच
पाने
तुष्टौ
} स्वैचे
प्रसवे अलंकारे
रुजायाम्
उच्छे
हिसायाम्
संघाते च
भत्सने
सेचने
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मृषु
पुष
तुषु
श्रिषु
श्लिषु
प्रुषु
प्लुषु
घृषु
हृषु
कृषौ
लस
ਯ
चर्च
झर्भ
इसे
त्रुस
हस
हस
रस
षिर
मिश
मश
सि
शश
हशिरौ
दशौ
शंसु
दहौ
मिहौ
वह
रद्द
हर
हि
वृह
पूष
ह
सहने च
पुष्टौ च
दा
संघर्ष
अलीके
विलिखितौ
श्लेपक्रीडनयोः
परिभाषा हिंसातर्जनेषु
हसने
शब्दे
} रोत्रकृते च
समाधौ
प्लुतिगतौ
प्रेक्षणे
दशने
स्तुतौ
भस्मीकरणे
से चने
परिकल्कने
त्यागे
वृद्धौ
शब्दे च
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