Book Title: Jain Vrat Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Jain Sangh Madras
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श्री जैन व्रत विधि.
उपधान विधि.
नाणं पयासगं सोहो तवो संजमो अ गुत्तिधरो। तिण्हपि समायोगे मुस्को जिणसासणे भणिो ॥ १ ॥ भुक्तिकनी वरमाला, सुकृत जलाकर्षणे घटीमाला। साक्षादिव गुणमाला, माला परिधीयते धन्यैः ॥२॥
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इति उपधानप्रवेशविधि.

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