Book Title: Jain Vrat Vidhi Sangraha
Author(s): Labdhisuri
Publisher: Jain Sangh Madras

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Page 68
________________ श्री जैन बत विधि. उपधान: विषि. ॥३१॥ 出半米4%毕米米米%米米出米法米米%架中 श्रीजी वाचना. अप्पडिहयवरनाण, दंसणधराणं, विअदृछउमाणं ॥ ७॥ जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं | तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोअगाणं ॥ ८॥ सव्वन्नुणं सव्वदरिसिणं, सिवमयलमरुपमणंतमख्खय मव्वाबाहमपुणरावित्ति सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं नमो जिणाणं | जियभयाणं ॥ ९ ॥ जेम अइया सिद्धा जेन भविस्संति णागए काले, संपइन वट्टमाणा सव्वे | | तिविहेण वंदामि ॥१०॥ .. चोथु उपधान चैत्यस्तव अध्ययन (अरिहंतचेइमाणं-ममत्थ ) ४, कुल तप २॥ उपवास, वांचना एक. . वाचना. अरिहंतचेइआणं करेमि काउस्सग्गं ॥ १ ॥ वंदणवत्तिाए पुअणवत्तिाए, सक्करवत्तिाए | * सम्माणवत्तिआए, बोहिलाभवत्तिाए निरुवस्सग्गवत्तिाए ॥२॥ सद्धाए मेहाए धिइए धारणाए अणुप्पेहाए वड्डमाणिए ठामि काउस्सग्गं ॥ ३॥ ॥३१॥

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